नई दिल्ली. देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 1329 नए मामले सामने आए हैं और 44 लोगों की मौत हो गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी. इसी के साथ भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 18985 हो गए हैं. इसमें 15122 केस हैं, 3260 मरीज रिकवर हो चुके हैं और अब तक कुल 603 लोगों की मौत हुई है.
मंगलवार 21 अप्रैल की शाम आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि 705 मरीज कल यानी सोमवार को ठीक हुए हैं. उन्होंने कहा कि अब रिकवरी रेट 17.48 फीसदी हो गई है.
61 जिलों में 14 दिनों से कोई केस नहीं
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि चार जिलों में 28 दिनों में कोरोना वायरस का कोई केस सामने नहीं आया है. वहीं 61 जिले ऐसे हैं, जहां 14 दिनों में कोविड-19 का कोई केस सामने नहीं आया है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ हम अलग-अलग मोर्चे पर काम रहे हैं. इसमें से एक सोशल डिस्टेंसिंग भी है, जिसका हमें पालन करना चाहिए.
सोमवार को 35 हजार से ज्यादा टेस्ट हुए
इसके अलावा आईसीएमआर के अधिकारी ने बताया कि सोमवार को 35 हजार से ज्यादा टेस्ट हुए हैं. अब तक चार लाख 49 हजार 810 टेस्ट हुए हैं. आईसीएमआर के अध्यक्ष आर गंगाखेडकर ने बताया कि सोमवार को कुल 35852 सैंपल की जांच की गई इसमें से 29776 टेस्ट आईसीएमआर नेटवर्क के 201 लैब में की गई, बाकी बचे 6076 टेस्ट 86 प्राइवेट लैब में किए गए. इसके साथ ही बताया गया कि एक राज्य से रैपिड टेस्ट में शिकायत मिली है. रैपिड टेस्ट की खामी को दूर किया जाएगा. दो दिनों के लिए रैपिट टेस्ट नहीं होगे. जांच के बाद दिशा-निर्देश जारी किया जाएगा.
राज्यों को सलाह- दो दिनों के लिए रैपिड टेस्टिंग किट का इस्तेमाल न करें
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने राज्यों को सलाह दी है कि दो दिनों तक रैपिड टेस्टिंग किट का उपयोग न करें. जांच के बाद अगले दो दिनों में एजवाइजरी जारी की जाएगी. दरअसल, आज मंगलवार 21 अप्रैल को आईसीएमआर ने बताया कि एक राज्य से रैपिट टेस्ट किट को लेकर शिकायत मिली है और इसको दूर किया जाएगा. इस बीच राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (एनआईसीईडी) ने पश्चिम बंगाल की कुछ सरकारी जांच लैब से खामी वाले कोविड-19 जांच किट की खेप वापस ले ली है. चिकित्सकीय इकाई की एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
अधिकारी ने कहा कि खामी वाले किट को पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की तरफ से दिए गए किट से बदल दिया गया है. पश्चिम बंगाल सरकार ने आरोप लगाया कि राज्य में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नोडल एजेंसी एनआईसीईडी द्वारा एक पखवाड़े पहले आपूर्ति कोविड-19 जांच किट परोक्ष तौर पर दोषपूर्ण थी, क्योंकि उसमें अनिर्णायक टेस्ट नतीजे आते थे जिससे टेस्ट बार बार करनी पड़ती थी और इससे डायग्नोसिस में देरी होती थी.