नई दिल्ली. चीन एवं अन्य देशों से भारत आने वाली विदेशी कंपनियों को सस्ती लेबर मुहैया कराने की सरकार की कोशिशों को लेकर आरएसएस से जुड़े संगठन भारतीय मजदूर संघ ने चेताया है. मजदूर संघ ने चीन से आने वाली कंपनियों को लुभाने की कोशिश में जुटी सरकार से कहा है कि उसे चीन की तरह कंपनियों को सस्ती लेबर देने की कोशिश से बचना चाहिए.
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष साजी नारायणन ने कहा, चीन में लोकतंत्र न होने के लिए कुख्यात है. वहां मानवाधिकार, श्रम कानून और ट्रेज यूनियनों जैसी कोई बात ही नहीं है. सस्ती लेबर मुहैया कराने की दौड़ में चीन जैसी नीतियां लागू करना भारत के लिए लाभकारी नहीं होगा. इसके साथ ही भारतीय मजदूर संघ ने सरकार से अपील की कि कोरोना वायरस के संकट के बाद विकास के मॉडल को तैयार करते हुए स्वदेशी के विजन को केंद्र में रखना चाहिए.
नारायणन ने कहा, एफडीआई और ई-कॉमर्स को सीमित किया जाना चाहिए. सरकार को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए पैकेज जारी करना चाहिए. इसके अलावा कृषि एवं उससे जुड़े सेक्टर्स की भी मदद करनी चाहिए.
श्रम मंत्री संतोष गंगवार के साथ मीटिंग में भारतीय मजदूर संघ के नेता ने कहा कि सरकार को कोरोना के संकट को ध्यान में रखते हुए ऐसे मजदूरों का रजिस्टर तैयार करना चाहिए, जो अपने राज्य से पलायन कर दूसरे सूबे में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा एक रजिस्टर तैयार करने से मजदूरों की पहचान सुनिश्चित होगी और उन तक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के फायदे पहुंचाना आसान हो सकेगा. यही नहीं दूसरे राज्यों में फंसे मजूदरों को ट्रेन से पहुंचाने पर किराये की वसूली का भी उन्होंने विरोध किया.
उन्होंने कहा कि इससे स्टेट माइग्रेंट वर्कर्स एक्ट, 1979 का उल्लंघन हुआ है. यही नहीं श्रम मंत्री से भारतीय मजदूर संघ ने जल्द से जल्द नेशनल माइग्रेंट वर्कर्स पॉलिसी लाने का भी आह्वान किया. सैलरी में देरी पर भी उठाया सवाल: देश में मजदूरों के अहम संगठन के मुखिया ने श्रम मंत्री से कहा कि मजदूरों को हर महीने की 7 तारीख तक सैलरी का भुगतान कर दिया जाना चाहिए. यही नहीं भुगतान की टाइमिंग पर केंद्र सरकार को भी नजर रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस संकट के बीच दिहाड़़ी मजदूरों को समय पर पैसा नहीं मिल पा रहा है और नौकरी तक का संकट पैदा हो गया है.
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