Saturday , April 20 2024
Breaking News

श्रम कानून में संशोधन गरीब विरोधी, सात दलों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

Share this

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए बदलाव को लेकर विरोध शुरू हो गया है. विपक्षी दलों ने श्रम कानून में किये गये बदलाव को तुरंत रद्द करने की मांग की है. वहीं वाम दलों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस पर आपत्ति जताई है. कांग्रेस की महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट कर कहा कि आप मजदूरों की मदद करने के लिए तैयार नहीं हो. आप उनके परिवार को कोई सुरक्षा कवच नहीं दे रहे. अब आप उनके अधिकारों को कुचलने के लिए कानून बना रहे हो.

मजदूर देश निर्माता हैं, आपके बंधक नहीं हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के उस अध्यादेश के विरोध में किया है जिसमें श्रम कानून के कई प्रावधानों को निलंबित करने की बात कही गई है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश में करार के साथ नौकरी करने वाले लोगों को हटाने, नौकरी के दौरान हादसे का शिकार होने और समय पर वेतन देने जैसे तीन नियमों को छोड़कर अन्य सभी श्रम कानूनों को तीन साल के लिए स्थगित कर दिया गया है. ये नियम यूपी में मौजूद सभी राज्य और केंद्रीय इकाइयों पर लागू होंगे.

इसके दायरे में 15000 कारखाने और लगभग 8 हजार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट आएंगी.
श्रम कानून को स्थगित करने के यूपी सरकार के फैसले के खिलाफ  अब विपक्ष गोलबंद है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो सीधे मुख्यमंत्री योगी का इस्तीफा मांगा है. उन्होंने कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक और अमानवीय है. श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली गरीब विरोधी बीजेपी सरकार को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए.

यही नहीं वामपंथी दलों समेत सात दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर श्रम कानून में बदलाव पर आपत्ति जताई है. पत्र में इन्होंने आरोप लगाया है कि गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और पंजाब ने फैक्ट्री अधिनियम में संशोधन के बिना काम की अवधि को आठ घंटे प्रतिदिन से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है. इन राजनीतिक दलों ने आशंका जताई है कि दूसरे राज्य भी ऐसा कदम उठा सकते हैं.

Share this
Translate »