नई दिल्ली. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक चिकित्सा संस्थान से प्रिस्क्रिप्शन (दवा निर्देश) के आधार पर छोटी मात्रा में कुछ दवाओं के आयात और निर्माण की अनुमति देने के लिए अधिसूचना जारी की है. इस कदम का उद्देश्य कोरोना वायरस बीमारी के इलाज के लिए प्रायोगिक दवाएं बनाना है, जिसकी पहुंच गंभीर रूप से बीमार मरीज तक हों.
5 जून को जारी अधिसूचना में स्वास्थ्य मंत्रालय ने ड्रग्स तकनीकी सलाहकार बोर्ड के परामर्श से न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल परीक्षण नियम, 2019 में संशोधन किया, जो सरकार को सभी ड्रग-संबंधी मामलों पर सलाह देता है.
अधिसूचना में कहा गया है कि अस्पतालों या चिकित्सा संस्थान द्वारा रोगियों के उपचार के लिए अनुकंपा उपयोग के लिए नई अननुमोदित दवाओं के आयात के लिए आवेदन करना होगा. एक अस्पताल या चिकित्सा संस्थान के चिकित्सा अधिकारी जीवन के लिए खतरे वाली बीमारी या बीमारी से पीडि़त रोगियों के इलाज के लिए अनुकंपा उपयोग हेतु नई दवा का आयात कर सकते हैं, जिनकी देश में अनुमति नहीं है, जिससे गंभीर स्थायी विकलांगता या थेरेपी की आवश्यकता होती है.
यह नियम देश में ऐसी दवाओं के निर्माण पर भी लागू होगा. हालांकि केवल उन्हीं दवाओं को आयात या निर्मित करने की अनुमति होगी जो कि भारत में या किसी अन्य देश में चरण- 3 नैदानिक परीक्षण के तहत हैं. अस्पताल या चिकित्सा संस्थान के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक को अनुमोदन के लिए केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण को भेजने से पहले एक आवेदन को प्रमाणित करना होगा.
ड्रग्स कंट्रोलर कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा, नियम पहले से ही मौजूद थे. इन्हें कोविड-19 की स्थिति को ध्यान में रखते हुए संबंधित प्राधिकारी द्वारा प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर गंभीर रूप से बीमार रोगियों के इलाज के लिए एक अनुमोदित दवा के आयात या निर्माण की अनुमति देने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है.
उन्होंने आगे कहा, प्रिस्क्रिप्शन निर्माता या आयातक को दिया जाएगा जो इसे केंद्रीय ड्रग कंट्रोलर के अनुमोदन के लिए आवेदन के साथ संलग्न करेंगे. कई दवाओं को परीक्षणों के लिए अनुमोदित किया जा रहा है और इन दवाओं को रोगियों को प्राप्त करने की आवश्यकता हो सकती है. राजपत्र में अंतिम मसौदा प्रकाशित होने के 15 दिन बाद नियम लागू हो जाएंगे.