नई दिल्ली. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुये पूरी दुनिया के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने में जुटे हुये हैं. वहीं अमेरिका में वैज्ञानिक टीबी और पोलियो के टीके का ट्रायल कर यह आंकलन कर रहे हैं कि क्या इससे कोरोना के खिलाफ सीमित सुरक्षा पाया जा सकता है या नहीं.
अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार इस बात का पता लगाने के लिए परीक्षण किए जा रहे हैं कि क्या टीबी और पोलियो के टीके से कोरोना वायरस के प्रभाव की गति को धीमा किया जा सकता है या नहीं. टेक्सास ए एंड एम हेल्थ साइंस सेंटर में रोग प्रतिरोधी क्षमता विज्ञान के प्रोफेसर जेफ्री डी सिरिलो के हवाले से कहा कि विश्व में यही एकमात्र टीका है जो कोरोना वायरस से निपटने लिए के फिलहाल इस्तेमाल किया जा सकता है.
कुछ विशेषज्ञ वर्तमान में मौजूद टीके और दवाओं में वायरस से लडऩे की क्षमता तलाश रहे हैं. मेडिकल जर्नल साइंस में प्रकाशित एक नवीनतम अध्ययन में इस बात को लेकर चर्चा की गई है कि क्या मौजूदा टीके कोविड-19 को रोकने में मदद कर सकते हैं.
अध्ययन में ओरल पोलियो वैक्सीन के बारे में बात की गई है जिसमें जीवित वायरस शामिल हैं और जो अन्य संक्रमणों को कम कर सकते हैं. शोध में कहा गया है कि साक्ष्यों से पता चला है कि जीवित क्षीण टीके भी इंटरफेरॉन और अन्य जन्मजात प्रतिरक्षा तंत्रों को प्रेरित करके ऐसे असंबंधित रोगजनकों के खिलाफ व्यापक सुरक्षा को प्रेरित कर सकते हैं जिन्हें अभी पहचाना जाना बाकी है.
शोधकर्ताओं के अनुसार ओरल पोलियो वैक्सीन, कोरोना वायरस बीमारी के खिलाफ अस्थायी सुरक्षा प्रदान कर सकता है. शोध में संक्रमण से लडऩे में तपेदिक और काली खांसी के खिलाफ कुछ टीकों की प्रभावकारिता को इंगित किया गया है. शोध में कहा गया है कि एटिट्यूड बैक्टीरियल वैक्सीन जैसे कि तपेदिक के खिलाफ बीसीजी, काली खांसी के खिलाफ लाइव अटेक्सिन वैक्सीन कोरोना संक्रमण से बचाव कर सकता है.
कई मेडिकल रिपोर्ट और वैज्ञानिक अध्ययन इस बात को बताते हैं कि कोविड-19 शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है. इसलिए तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोना वायरस में ओपीवी जैसे टीके द्वारा जन्मजात प्रतिरक्षा को बढ़ाकर संक्रमण से बचाया जा सकता है. शोध में कहा गया है कि यदि ओपीवी के साथ रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल के नतीजे पॉजिटिव आते हैं तो इसका इस्तेमाल जनसंख्या को बचाने में किया जा सकता है. कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में 70 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं जबकि चार लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.