काठमांडू/नई दिल्ली. नेपाल की संसद ने देश के विवादित राजनीतिक नक्शे को लेकर पेश किए गए संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है. वोटिंग के दौरान संसद में विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी- नेपाल ने संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन किया. भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच इस नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है. कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया थुम्भांगफे ने देश के नक्शे में बदलाव के लिए संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए इसे पेश किया था.
नेपाल के 275 सदस्यों वाले निचले सदन में विधेयक को पारित करने के लिये दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है. निचले सदन से पारित होने के बाद विधेयक को नेशनल असेंबली में भेजा जाएगा, जहां उसे एक बार फिर इसी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा. नेशनल असेंबली को विधेयक के प्रावधानों में संशोधन प्रस्ताव लाने के लिये सांसदों को 72 घंटे का वक्त देना होगा.
राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा विधेयक
नेशनल असेंबली से विधेयक के पारित होने के बाद इसे राष्ट्र्रपति विद्या देवी भंडारी की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे संविधान में शामिल किया जाएगा. संसद ने 9 जून को आम सहमति से इस विधेयक के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति जताई थी, जिससे नए नक्शे को मंजूर किये जाने का रास्ता साफ होगा.
सबूत जुटाने बनाई कमेटी
सरकार ने बुधवार को विशेषज्ञों की एक नौ सदस्यीय समिति बनाई थी, जो इलाके से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य और साक्ष्यों को जुटाएगी. कूटनीतिज्ञों और विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए हालांकि कहा कि नक्शे को जब मंत्रिमंडल ने पहले ही मंजूर कर जारी कर दिया है तो फिर विशेषज्ञों के इस कार्यबल का गठन किसलिये किया गया?
इसलिए पहले नहीं हुआ पारित
संविधान संशोधन प्रस्ताव पिछले महीने संसद में पेश किया जाना था, लेकिन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि मामले पर चर्चा के लिए वह सर्वदलीय बैठक बुलाना चाहते हैं, जिसके बाद इस पर आगे नहीं बढ़ा जा सका. विधेयक में संविधान की तीसरी अनुसूची में शामिल नेपाल के राजनीतिक मैप में बदलाव का प्रस्ताव है. संविधान में संशोधन के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है.
यह है विवाद का कारण
भारत के लिपुलेख में मानसरोवर लिंक बनाने को लेकर नेपाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. उसका दावा है कि लिपुलेख, कालापानी और लिपिंयाधुरा उसके क्षेत्र में आते हैं. नेपाल ने इसके जवाब में अपना नया नक्शा जारी कर दिया, जिसमें ये तीनों क्षेत्र उसके अंतर्गत दिखाए गए. इस नक्शे को जब देश की संसद में पारित कराने के लिए संविधान में संशोधन की बात आई तो सभी पार्टियां एक साथ नजर आईं. इस दौरान पीएम केपी शर्मा ओली ने भारत को लेकर सख्त रवैया अपनाए रखा.
रोड के जवाब में नया नक्शा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जब लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते का उद्घाटन किया, तभी नेपाल ने इसका विरोध किया था. उसके बाद 18 मई को नेपाल ने नए नक्शा जारी कर दिया. भारत ने साफ कहा था कि नेपाल को भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए. नेपाल के नेतृत्व को ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिससे बैठकर बात हो सके.