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मोदी सरकार का चीन पर मास्टरस्ट्रोक, सरकारी एजेंसियों को अब बताना होगा किस देश में बना है सामान

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नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच 20 भारतीय जवानों की शहादत को लेकर पूरे देश में खासी नाराजगी है. वहीं भारत-चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बात केंद्र सरकार ने एक और कड़ा कदम उठाते हुए सभी सरकारी खरीद के लिए मौजूदा ई- कॉमर्स पोर्टल पर बिकने वाले प्रोडक्ट के लिए कंट्री ऑफ ओरिजिन बताना अनिवार्य कर दिया है. इसका मतलब यह है कि सेलर्स को यह जानकारी देनी होगी कि सामान का निर्माण कहां पर हुआ है या उसका आयात कहां से हुआ है.

जानकारी करनी होगी अपडेट

मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार ने अपनी सभी सप्लायर्स के लिए उत्पादों के तैयार होने वाले देश यानि कंट्री ऑफ ओरिजिन बताना अनिवार्य कर दिया है. साथ ही चीन का नाम लिए बगैर सरकार ने निर्देश दिया है कि किसी भी सरकारी खरीद में देसी प्रोडक्ट को ही तरजीह दी जाए. जीईएम के नए फीचर लागू होने से पहले जिन विक्रेताओं ने अपने प्रोडक्ट अपलोड किए हुए हैं, उनको भी मूल देश को अपडेट करना होगा. इसके लिए उन्हें लगातार रिमाइंडर भेजे जाएंगे. रिमाइंडर के बाद भी प्रोडक्ट पर जानकारी अपडेट नहीं करने पर प्रोडक्ट को प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाएगा. सेलर्स को यह जानकारी देनी जरूरी होगी कि सामान का निर्माण कहां पर हुआ है या उसका इंपोर्ट कहां से हुआ है.

चीनी कंपनियों को होगा सीधा नुकसान

जानकारी का यह भी कहना है कि सरकार के इस कदम से सीधा नुकसान चीनी कंपनियों को उठाना पड़ सकता है. केंद्र और राज्य सरकारों के विभाग और दफ्तर इस ई-कॉमर्स पोर्टल के जरिए अपनी ज़रुरत के प्रोडक्ट और सर्विस लेते हैं. जैसे फर्नीचर, स्टेशनरी, क्राकरी, सैनीटाइजर मास्क और पीपीई किट आदि. इस पोर्टल पर 17 लाख प्रोडक्ट हैं. अगर इन सरकारी खरीद में देसी उत्पादों को तरजीह दी जाएगी तो चीन को अपना सामान बेचने में काफी दिक्कतें आएंगी. नए फैसले के लागू होने के बाद सप्लायर सरकारी पोर्टल में सिर्फ मेक इन इंडिया के ही उत्पाद ऑफर कर पाएंगे.

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