नई दिल्ली. चीन के साथ एलएसी पर जारी तनाव के बीच भारतीय वायुसेना को राफेल लड़ाकू विमान की पहली खेप 27 जुलाई को मिलने जा रही है. बताया जा रहा है कि 4 से 6 राफेल विमान अंबाला एयरबेस पर पहुंच जाएंगे. भारतीय वायुसेना की गोल्डन एरो स्क्वाड्रन अगस्त में राफेल विमानों के साथ मोर्चा संभाल लेगी.
राफेल विमानों को भारत लाने के लिए वन स्टॉप का इस्तेमाल किया जा रहा है. यानी फ्रांस से उड़ान भरने के बाद यूएई के अल डाफरा एयरबेस पर राफेल विमान उतरेंगे. यहां पर फ्यूल से लेकर बाकी सभी टेक्निकल चेकअप के बाद राफेल विमान सीधे भारत के लिए उड़ान भरेंगे. वह सीधे अंबाला एयरबेस पर आएंगे.
बताया जा रहा है कि अंबाला एयरबेस पर रफाल लड़ाकू विमानों की पूरी तैयारी कर ली गई है. क्योंकि पहली खेप दिल्ली के करीब हरियाणा के इसी बेस पर तैनात की जाएगी. रफाल फाइटर जेट्स की तैनाती के लिए अंबाला एयरबेस पर अलग से इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है. विमानों के खड़े करने की जगह, एयर-स्ट्रीप और कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम शामिल है. रफाल की पहली स्कॉवड्रन को गोल्डन ऐरो नाम दिया गया है.
राफेल को दक्षिण एशिया में गेम चेंजर माना जा रहा है. भारत ने फिलहाल फ्रांस से जो 36 राफेल विमानों का सौदा किया है, वे सभी 2022 तक भारत को मिल जाएंगे. इन 36 विमानों की दो स्कॉवड्रन बनेंगी जो अंबाला और पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में तैनात की जाएंगी.
भारत को फ्रांस से जो राफेल लड़ाकू विमान मिलने वाला है, वो 4.5 जेनरेशन मीडियम मल्टीरोल एयरक्राफ्ट है. मल्टीरोल होने के कारण दो इंजन वाला राफेल फाइटर जेट एयर-सुप्रेमैसी के साथ ही दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने में भी सक्षम है.
ये राफेल अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस हैं. इनमें सबसे खास है दुनिया की सबसे घातक समझे जाने वाली हवा से हवा में मार करने वाली मेटयोर मिसाइल. ये मिसाइल चीन तो क्या किसी भी एशियाई देश के पास नहीं है.