नई दिल्ली. अमेरिका में पुलिस के हाथों एक अश्वेत नागरिक की मौत के बाद दुनियाभर में नस्लवाद को लेकर बवाल मचा हुआ है. ब्लैक लाइफ मैटर्स मुहिम ने दुनियाभर में रंगभेद के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है. ऐसे में यूनिलीवर ने भी अपनी फेस क्रीम से गोरा बनाने वाले फेयर शब्द को हटा दिया है. कई दशकों से लोगों को गोरा होने का दावा करके बेची जा रही इस क्रीम की नस्लवाद को लेकर आलोचना होने के बाद कंपनी ने यह फैसला किया है.
कंपनी ने ई-मेल में दिए एक बयान में कहा- पहले फेयर एंड लवली नाम वाली फेस-क्रीम का नाम अब बदलकर ग्लो एंड लवली कर दिया गया है. वहीं पुरुषों के संस्करण का नाम ग्लो एंड हैंडसम रखा जाएगा. यूनिलीवर ने कहा कि यह बदलाव ब्रांड को और भी ज्यादा समावेशी बनाने के लिए किया गया है, जिसका वार्षिक राजस्व 50 करोड़ है. फिर भी, यह पूरी तरह से त्वचा को सफेद करने वाली क्रीम की बिक्री को रोकने के लिए कार्यकर्ताओं की मांगों को कम कर देता है, क्योंकि वे जाहिर करते हैं कि त्वचा का गहरा रंग अवांछनीय है.
उन मांगों ने हाल ही में ध्यान आकर्षित किया है क्योंकि ब्लैक लाइव्स मैटर विरोध प्रदर्शनों ने अमेरिका में व्यापक रूप से नस्लीय स्टीरियोटाइपिंग के बारे में जागरूकता बढ़ाई है. बताते चलें कि पिछले महीने जॉनसन एंड जॉनसन ने कहा था कि वह अपने स्किन-व्हाइटनिंग व्यवसाय से पीछे हट जाएगा, जो भारत में क्लीन एंड क्लियर फेयरनेस ब्रांड बेचता है.
फेयर एंड लवली की मार्केटिंग भारत में सुंदरता को लेकर गहरी दीवानगी की वजह से जबरदस्त बनी है. कंपनी का अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार भारत में है, जहां गहरे रंग की त्वचा को अवांछनीय के रूप में देखा जाता है और अक्सर इसे जाति व्यवस्था के निचले हिस्से के लोगों से जोड़कर देखा जाता है. भारत के सबसे बड़े अखबारों में वैवाहिक विज्ञापन नियमित रूप से एक गोरे रंग की दुल्हन की आवश्यकता को निर्दिष्ट करते हैं.