कोलकाता. दक्षिण पूर्व रेलवे में चोरी व अपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए अत्याधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया गया है. इसके तहत आरपीएफ अब ड्रोन व स्निफर डॉग की मदद से रेल संपत्तियों की सुरक्षा देने की तैयारी शुरू कर दी है.
दक्षिण पूर्व रेलवे ने रेलवे संपत्ति की निगरानी करने के लिए चक्रधरपुर मंडल सहित सभी रेल मंडलों में ड्रोन की मदद लेना शुरू कर दिया है. रेलवे सुरक्षा बल के जवान ड्रोन से लगभग दो किमी तक निगरानी कर सकेंगे. दो किमी के दायरे में सारी गितिविधि एक जगह से देखी जा सकती है. ड्रोन का उपयोग मुख्य रूप से यार्ड सिग्नलिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, वैगन स्टॉक्स, गुड शेड, स्टेशन रिले रूम सहित अन्य जगहों की निगरानी की जा सकेगी लॉकडाउन में निगरानी रखने वाले आरपीएफ के जवानों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है.
लॉकडाउन के बाद कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, यात्री ट्रेनों के आवागमन को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए पार्सल एक्सप्रेस ट्रेनों की आवाजाही अभी भी चल रही है. दक्षिण पूर्व रेलवे के आरपीएएफ, लॉकडाउन के दौरान इस रेलवे के लंबे क्षेत्रों में रेलवे की संपत्ति की सुरक्षा के लिए ड्यूटी पर लगे हुए हैं. आरपीएफ पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड राज्यों में 4 डिवीजनों अर्थात खडग़पुर, आद्रा, चक्रधरपुर और रांची में फैली रेलवे संपत्तियों की रक्षा और सुरक्षा की दृष्टि से अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं.
दो से लेकर 12 किलोमीटर तक रखी जाएगी ड्रोन से नजर
चूंकि भौतिक निगरानी कुछ कठिन है, इसको देखते हैं रेलवे में अत्याधुनिक तरीके का इस्तेमाल करते हुए डॉन की तैनाती की है इस डॉन की मदद से 2 किलोमीटर के दायरे को 12 कवर करेगा और उसकी तस्वीरों के साथ स्टोरी करने की क्षमता होगी. लॉकडाउन के दौरान चोरी, आपराधिक गतिविधियों और रेलवे संपत्ति की सुरक्षा का पता लगाने के लिए स्निफर डॉग भी तैनात किए गए हैं,