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राम मंदिर मुहूर्त विवाद: अब अयोध्या के संत ने दी शंकराचार्य को शास्त्रार्थ की चुनौती

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अयोध्या. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए निकाली गई तिथि 5 अगस्त को ज्योतिष पीठाधीश्वर द्वारका शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा अशुभ बताए जाने पर अयोध्या के संतों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.संतों ने चुनौती दी है कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती यह सिद्ध करें कि भाद्र पक्ष की भादो अशुभ होती है.

संतों को कहना है कि भादो में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और यह संपूर्ण मास शुभ होता है. जिस माह में देवता अवतार लेते हैं, उस माह को शुभ माना जाता है. संतों ने कहा कि प्रमुख रूप से दो अवतार होते हैं एक राम अवतार, कृष्णा अवतार. राम अवतार चैत्र में हुआ था. चैत्र का संपूर्ण मास शुभ होता है. भादो में भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था, इसलिए भादो का भी संपूर्ण माह शुभ है. किसी भी तरीके के मंदिरों की भूमि पूजन होने के बाद सभी ग्रह नक्षत्र अनुकूल हो जाते हैं.

राम जन्म भूमि के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि प्रमुख रूप से 2 अवतार सनातन धर्म में माने गए हैं. भगवान राम का अवतार चैत्र माह में हुआ था और यह संपूर्ण माह शुभ होता है. भगवान कृष्ण का अवतार भादो पक्ष में हुआ था और भादो का संपूर्ण मास पवित्र होता है. इस माह में सभी ग्रह नक्षत्र अनुकूल होते हैं.

उन्होंने कहा कि इस माह में किए गए किसी भी कार्य को हानिकारक नहीं कहा जा सकता है. साथ ही मंदिर का निर्माण होना है इसलिए मंदिर के निर्माण की तिथि उसी समय शुभ मानी जाती है, जिस समय उसकी आधारशिला रखी जाती है. इसलिए भादो को अशुभ नहीं कहना चाहिए. जो भी शिला भगवान राम के भूमि पूजन के रखी जाएगी, वह मंदिर निर्विघ्न पूर्वक भव्य और दिव्य बनकर जल्दी तैयार होगा.

वहीं तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने कहा कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने 5 अगस्त को अच्छे मुहूर्त ना होने की बात कही है और कहा है कि भाद्र पक्ष में कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है. भादो में भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है और भादो का संपूर्ण माह पवित्र है. भगवान श्री राम का नाम लेने मात्र से ही सारे अमंगल नष्ट हो जाते हैं. साथ ही इस मुद्दे पर स्वरूपानंद सरस्वती को चुनौती देते हुए संत परमहंस दास ने कहा कि इस मामले पर आकर मुझसे शास्त्रार्थ करें. उन्होंने कहा कि भगवान राम के मंदिर निर्माण के कार्य में रोड़ा अटका रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हनुमान चालीसा से लेकर ऋग्वेद तक आकर स्वरूपानंद सरस्वती शास्त्रार्थ करें और सिद्ध करें कि 5 अगस्त को भूमि पूजन करना गलत है. साथ ही परमहंस दास ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्वरूपानंद सरस्वती कांग्रेस के इशारे पर मंदिर निर्माण में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं.

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