इस्लामाबाद. सऊदी अरब ने इमरान खान सरकार द्वारा कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी) को विभाजित करने की धमकी देने के बाद पाकिस्तान के लिए ऋण पर तेल के प्रावधान को रोक दिया है. अक्टूबर 2018 में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तीन साल के लिए 6.2 अरब डॉलर का वित्तीय पैकेज देने का ऐलान किया था. इसमें तीन अरब डॉलर की नकद सहायता शामिल थी, जबकि बाकी के पैसों के एवज में पाकिस्तान को तेल और गैस की सप्लाई की जानी थी.
एक गंभीर आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान ने सऊदी अरब से ऋण लिया था. पाकिस्तान के हालिया बर्ताव के कारण सऊदी ने अपने वित्तीय समर्थन को वापस ले लिया है.पाकिस्तानी मीडिया ने शनिवार को कहा कि इस्लामाबाद के लिए प्रावधान दो महीने पहले समाप्त हो गया है और इसे रियाद द्वारा नवीनीकृत नहीं किया गया है.
हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक समाचार चैनल पर एक टॉक शो के दौरान धमकी दी थी कि अगर सऊदी अरब के नेतृत्व वाले ओआईसी ने कश्मीर मुद्दे पर मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक नहीं बुलाई, तो प्रधानमंत्री इमरान खान अपने सहयोगी इस्लामी देशों के बीच बैठक करेंगे, जो इस मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दे सकें.
पाकिस्तानी न्यूज चैनल एआरवाई को दिए साक्षात्कार में कुरैशी ने कहा, मैं एक बार फिर से पूरे सम्मान के साथ ओआईसी से कहना चाहता हूं कि विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक हमारी अपेक्षा है. यदि आप इसे बुला नहीं सकते हैं तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से यह कहने के लिए बाध्य हो जाऊंगा कि वह ऐसे इस्लामिक देशों की बैठक बुलाएं जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं.
विश्व में इस्लामी देशों के सबसे बड़े संगठन ओआईसी से पाकिस्तान कई बार गुजारिश कर चुका है कि वह कश्मीर मुद्दे पर एक बैठक आयोजित करे, मगर संगठन ने हर बार उसकी अपील को दरकिनार किया है. यही वजह है कि पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. दरअसल ओआईसी में किसी भी कदम के लिए सऊदी अरब का साथ सबसे ज्यादा जरूरी होता है. ओआईसी पर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा है. कश्मीर पर सऊदी अरब के कदम नहीं उठाने से पाकिस्तान की कुंठा बढ़ती ही जा रही है.