नई दिल्ली। बीजेपी के सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है और इस बार उनके निशाने पर हैं भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के कर्मचारी, जिन्हें उन्होंने गद्दार तक कह दिया है। हालांकि इस बात में कोई दो राय नही कि देश के अधिकांश लोगों की राय बीएसएनएल को लेकर सकारात्मक नही रही है। उसके पीछे उसकी लचर सेवा ही कारण है जिसके जिम्मेदार आखिर उसके तमाम अधिकारी और कर्मचारी ही कहे जायेंगे। लेकिन बावजूद इसके एक सांसद के तौर पर हेगड़े का इस तरह का बयान उचित नही ठहराया जा सकता है।
गौरतलब है कि बीजेपी सांसद ने कहा कि सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के कर्मचारी गद्दार हैं, जो एक नाम कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए काम नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने सरकार की ओर से कर्मचारियों को दिए जा रहे वीआरएस को इससे जोड़ते हुए कहा कि 88 हजार से अधिक कर्मचारियों को निकालात जाए, क्योंकि सरकार बीएसएनएल का निजीकरण करेगी। हेगड़े ने यह बयान उत्तरा कन्नड़ जिले के कुमता में एक कार्यक्रम के दौरान दिया है। ऐसा नही है कि हेगड़े ने ऐसा विवादित बयान पहली बार दिया हो वो इससे पहले भी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी महात्मा गांधी को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं। जिस पर काफी हो हल्ला मचा था।
ज्ञात हो कि पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे चुके अनंत हेगड़े कई बार विवादित बयान दे चुके हैं। उन्होंने इसी साल फरवरी में राष्ट्रपति महात्मा गांधी के उपवास और सत्याग्रह को ड्राम करार दिया था। इसके बाद उन्हें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की नाराजगी का सामना करना पड़ा और पार्टी ने उन्हें माफी मांगने को कहा था। सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने घाटे में कमी के लिए कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का मौका दिया है। 50 साल की आयु पूरी कर चुके या उससे अधिक उम्र के बीएसएनएल के सभी नियमित और स्थाई कर्मचारी वीआरएस के लिए आवेदन देने के पात्र हैं। कंपनी को उम्मीद है कि करीब 80,000 कर्मचारी वीआरएस चुन सकते हैं। महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड (MTNL) ने भी कर्मचारियों को यह विकल्प दिया है।