कोरोनावायरस लॉकडाउन की वजह से बच्चों का विकास और व्यवहार प्रभावित हुआ है. ब्रिटेन में हुए एक हालिया शोध में यह खुलासा हुआ है. यूके के तीन संगठनों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में पाया गया है कि कुछ नए अभिभावक लॉकडाउन के दौरान देखभाल की कमी से परेशान हैं.
अभिभावकों ने कहा कि बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन आया और वे ज्यादा चिड़चिड़े , आक्रामक और ज्यादा रोते हुए नजर आए. शोध के अनुसार 23 मार्च से 4 जुलाई के बीच जब लॉकडाउन सबसे सख्त था तब ब्रिटेन में 200,000 बच्चों को जन्म हुआ.
सर्वे का कहना है कि इन बच्चों पर कोविड-19 का असर गंभीर और लंबे समय तक मौजूद रहने वाला हो सकता है. महामारी के कारण देखभाल करने वाले और बच्चे दोनों ही प्रभावित हुए हैं. सर्वे में शामिल हुए एक तिहाई लोगों (34 प्रतिशत) का मानना था कि लॉकडाउन अवधि के दौरान उनके साथ उनके बच्चे का व्यवहार बदल गया था. लगभग आधे माता-पिता (47 प्रतिशत) ने बताया कि उनका बच्चा अधिक चिड़चिड़ा हो गया था. एक चौथाई (26 प्रतिशत) ने अपने बच्चे के सामान्य से अधिक रोने की सूचना दी.
एक मां ने बताया कि लॉकडाउन के कारण उनकी घबराहट बढ़ गई थी और उनके पैनिक अटैक आ रहे थे. उनकी हालत देखकर उनके बच्चा भी चिड़चिड़ा हो गया और ज्यादा रोने लगा. वहीं, कुछ माताओं ने कहा कि उनके दो साल के बच्चे लॉकडाउन के दौरान ज्यादा आक्रामक हो गए और इस वजह से हमेशा उदास रहने लगे.
बच्चा लॉकडाउन में सबसे नहीं मिल पाने के कारण चिड़चिड़े हो गए थे. अभिभावकों को चिंता सता रही है कि लॉकडाउन के कारण बच्चों पर पड़े दुष्प्रभाव का बाद की जिंदगी में कितना बुरा असर होगा. इस शोध में बेस्ट बीगनिंग, होम-स्टार्ट यूके और पेरेंट- इंफैंट फाउंडेशन ने मिलकर किया.