Wednesday , April 24 2024
Breaking News

मोदी और योगी को बदनाम करने एमनेस्टी इंटरनेशनल कर रही थी फंडिंग

Share this

नई दिल्ली. हाथरस केस में इंटेलिजेंस एजेंसियों ने एक बड़ा खुलासा किया है. एजेंसियों के हाथ जो सबूत लगे हैं उसके अनुसार इस केस में पीएम नरेन्द्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने की साजिश थी. एजेंसियों को यह भी सबूत मिले कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और इस्लामिक देश इसके लिए फंडिंग कर रहे थे.

जस्टिस फॉर हाथरस के नाम से एक वेबसाइट बनाई गई थी. वेबसाइट पर विरोध-प्रदर्शन की आड़ में देश और प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने का तरीका बताया गया था. इतना ही नहीं अफवाहें फैलाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया के दुरूपयोग के भी अहम सुराग मिले हैं.

इंटेलिजेंस एजेंसियों के मुताबिक पीडि़ता की मौत के बाद अचानक से जस्टिस फॉर हाथरस वेबसाइट सुर्खियों में आ गई. देखते ही देखते हज़ारों लोग इससे जुड़ गए. खास बात यह है कि जितने भी लोगों को इस वेबसाइट से जोड़ा गया वो सब आईडी फर्जी निकली हैं. जांच और इंटेलिजेंस एजेंसियों के हाथ वेबसाइट की डिटेल्स से जुड़ी पुख्ता जानकारी हाथ लगी हैं.

अमेरिका में हुए दंगों की तर्ज पर ही यूपी की घटना को लेकर देश भर में जातीय दंगे कराने की तैयारी थी. बहुसंख्यक समाज में फूट डालने के लिए मुस्लिम देशों और इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों से पैसा आया था. सीएए हिंसा में शामिल उपद्रवियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों ने योगी से बदला लेने के लिए यह वेबसाइट बनाई थी.

वेबसाइट में यह भी बताया गया था कि चेहरे पर मास्क लगाकर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध-प्रदर्शन की आड़ में कैसे निशाना बनाया जा सकता है. बहुसंख्यकों में फूट डालने और प्रदेश में नफरत का बीज बोने के लिए वेबसाइट पर तरह-तरह की तरकीबें बताई गईं थी.

वेबसाइट पर बेहद आपत्तिजनक कंटेंट मिले हैं. दंगे की इस बेवसाइट ने वालंटियरों की मदद से हेट स्पीच और भड़काऊ सियासत की भी स्क्रिप्ट तैयार की थी. जांच में सामने आया है कि पीएफआई और एसडीपीआई ने इस वेबसाइट को तैयार करने में मदद की है. रविवार की देर रात जैसे ही छापेमारी शुरु हुई थी रात को ही यह वेबसाइट बंद हो गई. मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज, फोटो शॉप तस्वीरों, अफवाहों, एडिटेड विजुल्स का दंगे भड़काने के लिए इस्तेमाल किया गया था.

Share this
Translate »