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20 देशों से कोविन पोर्टल की सफलता की कहानी साझा करेगा भारत, 30 जून को ग्लोबल कॉन्फ्रेंस आयोजित

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नई दिल्ली. देश में कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम के लिए केंद्र सरकार ने कोविन पोर्टल की शुरुआत की. इसी कोविन पोर्टल के जरिए वैक्सीन लगवाने वालों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है और टीकाकरण के बाद सर्टिफिकेट भी प्रदान किया जाता है. भारत ने दुनिया भर के 20 से अधिक देशों के साथ राष्ट्रव्यापी कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत की और आज इस मामले में सबसे आगे हैं. अब भारत टीकाकरण कार्यक्रम के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म कोविन की सफलता की कहानी उन 20 से अधिक देशों के साथ साझा करेगा, जिन्होंने अपने टीकाकरण अभियान को चलाने के लिए इस पोर्टल को अपनाने में रुचि दिखाई है.

मीडिया की खबर के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की संयुक्त पहल पर 30 जून को डिजिटल माध्यम से कोविन वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें दूसरे देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे.

सूत्रों ने कहा कि वियतनाम, पेरू, मैक्सिको, इराक, डोमिनिकन रिपब्लिक, पनामा, यूक्रेन, नाइजीरिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और युगांडा जैसे कई देशों ने अपने कोविड टीकाकरण कार्यक्रम को चलाने के लिए कोविन तकनीक सीखने में रुचि दिखाई है. टीकाकरण सशक्त समूह (कोविन) के अध्यक्ष और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ आरएस शर्मा ने कहा कई देशों ने कोविन प्लेटफॉर्म में रुचि व्यक्त की है, जिसका उपयोग दुनिया के सबसे बड़े कोविड टीकाकरण अभियान के संचालन के लिए किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि 30 जून को आयोजित होने वाले कोविन वैश्विक सम्मेलन में भारत इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सार्वभौमिक टीकाकरण के संबंध में अपने अनुभव को साझा करेगा. भारत ने कोविड टीकाकरण की रणनीति, कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन के लिए केंद्रीय आईटी प्रणाली के रूप में को-विन विकसित किया था. उन्होंने कहा कि कोविन या कोविड टीका निगरानी तंत्र देश के व्यापक टीकाकरण अभियान की तकनीकी रीढ़ के रूप में कार्य करता है.

उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में तीव्रता और सहज समन्वय सर्वोपरि है. हमें निष्पक्ष रूप से परीक्षण करते हुए और टीकाकरण केंद्रों को लचीलापन प्रदान करके इन्हें संतुलित करने की जरूरत है. यह किसी भी देश के लिए कठिन है, लेकिन हमारी जनसंख्या के आकार और विविधता को देखते हुए यह चुनौती और भी कठिन हो जाती है.

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