नई दिल्ली। पिछले काफी दिनों से पंजाब कांग्रेस में जारी घमासान को आखिरकार सम्हालने में कामयाब हो ही गया आलाकमान। तमाम जद्दोजेहद के बाद आखिरकार कैप्टन अमरिन्दर सिंह की सहमति मिलने के चलते पार्टी आलकमान ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस कार्य समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। हालांकि उनके साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किये हैं जो उनकी सहायता के लिए बताये जा रहे हैं। लेकिन सूत्रों की मानें तो इन चार कार्यकारियों की नियुक्ति किये जाना समझने की बात है।
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को नवजोत सिंह सिद्धू को तत्काल प्रभाव से पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। वह सुनील जाखड़ की जगह लेंगे। इस संबंध में जारी एक आदेश में कहा गया है कि अभी तक यह जिम्मेदारी संभाल रहे सुनील जाखड़ के योगदान के लिए पार्टी उनकी सराहना करती है। सोनिया गांधी ने राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की कड़ी आपत्ति के बावजूद यह फैसला लिया। सोनिया गांधी ने अगले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सिद्धू की सहायता के लिए चार कार्यकारी अध्यक्षों की भी नियुक्ति की है।
यह जिम्मेदारी संगत सिंह गिलजियां, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा को दी गई है। कांग्रेस के सिक्किम, नगालैंड और त्रिपुरा के प्रभारी नागरा को उनकी मौजूदा जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है। पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के नव नियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला के गुरुद्वारा श्री दुखनिवारण साहिब में मत्था टेका। इसके बाद सिद्धू पटियाला स्थित अपने घर पहुंचे।
बता दें कि पंजाब में 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए सिद्धू ने पिछले कुछ दिनों में समर्थन जुटाने के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं और कई विधायकों और नेताओं से मुलाकात की है। इस फैसले के साथ ही पार्टी नेतृत्व ने अमरिंदर सिंह के विरोध की अनदेखी करते हुए सिद्धू का समर्थन करने का स्पष्ट संकेत दे दिया है। पार्टी नेतृत्व को लगता है कि सिद्धू नई ऊर्जा और उत्साह के साथ पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व कर सकते हैं और अगले साल की शुरुआत में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।
सिद्धू की भीड़ आकर्षित करने और जोरदार प्रचार अभियान शुरू करने की क्षमता ने उनके पक्ष में काम किया है क्योंकि पार्टी को लगता है कि सत्ता में साढ़े चार साल के बाद पार्टी पदाधिकारियों में आयी सुस्ती को दूर करके उनमें नई ऊर्जा का संचार करना आवश्यक है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के समर्थन ने भी सिद्धू को कड़े प्रतिरोध के बावजूद यह पद हासिल करने में मदद की है।क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू के सामने अब पार्टी को एकजुट करने और पुराने नेताओं और दिग्गजों का विश्वास जीतने के अलावा पार्टी में एकजुटता लाने की चुनौती है।
समझा जाता है कि मुख्यमंत्री सिंह ने सोनिया गांधी से कहा था कि वह सिद्धू से तब तक नहीं मिलेंगे जब तक कि वह हाल के दिनों में उनके ऊपर किए गए अपने हमलों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांग लेते। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को एकजुट करने का आह्वान किया जा रहा है, नहीं तो आप तथा अकाली दल-बसपा गठबंधन इसे पछाड़ सकते हैं। पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी एवं कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने सिद्धू और चार कार्यकारी अध्यक्षों को बधाई दी। उन्होंने पंजाब में नई टीम को मंजूरी देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का भी आभार व्यक्त किया।