जयपुर. राजस्थान में शादियों के रजिस्ट्रेशन से जुड़े कानून के तहत अब बाल विवाह का भी रजिस्ट्रेशन होगा. ब्लॉक स्तर तक विवाह रजिस्ट्रेशन अधिकारी रजिस्ट्रेशन करेंगे. विधानसभा में शुक्रवार को बहस के बाद राजस्थान विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन संशोधन बिल पारित किया गया.
बिल में यह प्रावधान है कि अगर शादी के वक्त लड़की की उम्र 18 साल से कम और लड़के की उम्र 21 से कम है तो उसके माता-पिता को 30 दिन के भीतर इसकी सूचना रजिस्ट्रेशन अधिकारी को देनी होगी. बाल विवाह के मामले में लड़का-लड़की के माता-पिता रजिस्ट्रेशन अधिकारी को तय फॉर्मेट में ज्ञापन देकर सूचना देंगे. इसके आधार वर रजिस्ट्रेशन अधिकारी उस बाल विवाह को रजिस्टर्ड करेगा.
विवाहों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 8 में इसका प्रावधान किया गया है. पहले जिला स्तर पर विवाह रजिस्ट्रेशन अधिकारी होते थे. इस बिल में ब्लॉक स्तर तक का प्रावधान किया है. जब बाल विवाह अवैध ही रहेगा तो रजिस्ट्रेशन की जरूरत और विधेयक के उद्देश्य के मसले पर सवाल उठाते हुए भाजपा विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया, लेकिन सरकार का तर्क है कि यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर लाया गया है.
बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन का मतलब वैधता देना नहीं
बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन पर विपक्ष ने जमकर सवाल उठाए और इस बिल को वापस लेने की मांग की. बिल पर बहस का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन का मतलब उन्हें वैधता देना नहीं है. बाल विवाह करने वालों के खिलाफ उसका रजिस्ट्रेशन करने के बाद भी कार्रवाई होगी. रजिस्ट्रेशन का मतलब उन्हें वैधता देना नहीं है.
धारीवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में सीमा बनाम अश्विनी कुमार के मामले में फैसला देते हुए निर्देश दिए थे कि सभी तरह के विवाहों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. हर शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. रजिस्ट्रेशन का मतलब शादी को वैधता देना नहीं है. धारीवाल ने कहा कि किसी नाबालिग की शादी हुई है तो बालिग होते ही उसे रद्द करने का अधिकार होगा.
बीजेपी का वॉकआउट
बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान का बीजेपी विधायकों और कांग्रेस समर्थक निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने विरोध किया. नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित कई बीजेपी विधायकों ने कहा कि बाल विवाह का रजिस्ट्रेशन करना उन्हें वैलिड करने जैसा है. यह बाल विवाह रोकने के कानून शारदा एक्ट का खुला उल्लंघन है. नाराज बीजेपी विधाायकों ने सदन से वॉक आउट किया. बिल पारित होने से पहले बीजेपी ने इस पर वोटिंग करवाने की मांग की, लेकिन सभापति ने इसे अनदेखा कर दिया. ध्वनि मत से यह बिल पारित हो गया. विपक्ष के आरापों को संसदीय कार्य मंत्री ने गलत बताते हुए ?सुप्रीम कोर्ट के प्रावधानों का हवाला दिया.