कांग्रेस के लिए सियासी संकट गहराता जा रहा है. बात केवल पंजाब तक सीमित नहीं है… ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव से लेकर हिमंत बिस्वा सरमा, प्रेमा खांडु तक कई दिग्गज नेता पिछले कुछ सालों में कांग्रेस छोड़ चुके हैं. और केवल कांग्रेस ही नहीं बल्कि अन्य पार्टियों के नेता, विधायक, सांसद भी अपनी पार्टी से इस्तीफा देकर दूसरी पार्टी जॉइन कर चुके हैं. यहां तक कि दलबदल के कारण ही कई राज्यों में सरकारें भी गिर गई हैं.
एडीआर के मुताबिक डॉयचे वेले ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले 5 सालों में कम से कम 433 सांसदों और विधायकों ने चुनाव जीतने के बाद पार्टी बदल ली और अगला चुनाव नई पार्टी के टिकट पर लड़ा. यही नहीं मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, गोवा और कर्नाटक में विधायकों के अपनी पार्टी छोड़ विरोधी पार्टी में जाने के कारण सरकारें गिर गईं.
किस पार्टी ने खोए कितने नेता?
वर्ष 2016 से 2020 के बीच हुए चुनावों के दौरान कांग्रेस ने 170 विधायक गंवा दिए. वहीं बीजेपी ने 18, बीएसपी और टीडीपी ने 17, NPF और YSRCP ने 15, एनसीपी ने 14, सपा ने 12 और आरजेडी ने 10 विधायक खो दिए. आरएलडी से 2, सीपीआई और डीएमके से 1-1 विधायकों ने अपना पाला बदल लिया.
2019 लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी छोड़ दूसरे में जाने वाले 12 सांसदों ने चुनाव लड़ा, लेकिन उनमें से एक भी जीत हासिल नहीं कर पाए. पिछले 5 सालों में पार्टी छोड़ने वाले कुल 357 विधायकों में से 170 विधायक ही दोबारा चुनाव में जीत हासिल कर पाए. विधानसभा उपचुनावों में यह आंकड़ा कुछ ठीक रहा. उपचुनावों में पाला बदलने वाले 48 विधायकों में से 39 को जीत हासिल हुई.
बीजेपी ने बटोरे सबसे ज्यादा नेता
अपनी पार्टी छोड़ने वाले नेताओं में से सबसे ज्यादा नेता बीजेपी में गए. दोबारा चुनाव लड़ने वाले 405 विधायकों में 182 विधायक अपनी अपनी पार्टी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए. कांग्रेस में 38 विधायक, जबकि टीआरएस में 25 विधायक शामिल हुए. हालांकि ऐसा नहीं है कि बीजेपी को नुकसान नहीं हुआ. रिपोर्ट्स के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी के 5 सांसदों ने दूसरी पार्टी का दामन थामा. पार्टी छोड़ने वाले 12 सांसदों में से 5 कांग्रेस में शामिल हुए. 2019 चुनावों के दौरान राज्यसभा सदस्यों में से 7 ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया. कुल 16 राज्यसभा सदस्यों ने पार्टी छोड़
2019 के चुनावों के दौरान कांग्रेस के सात राज्य सभा सदस्यों (43.8%) ने पार्टी को छोड़ दूसरी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा. अपनी पार्टी छोड़ने वाले 16 राज्यसभा सदस्यों में से 10 बीजेपी में शामिल हुए.