लंदन. ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन सरकार ने पेट्रोल-डीजल की किल्लत के बीच 1 अक्टूबर से कोरोना काल के दौरान शुरू की गई मदद को बंद करने का निर्णय किया है. इस तरह जरूरतमंद परिवारों को हर सप्ताह मिलने वाली 20 पाउंड की सहायता भी मिलनी बंद हो जाएगी. ऐसे में 8 लाख से ज्यादा परिवारों के घरों में खाने की थाली खाली रहने की आशंका है.
ब्रिटेन में यूनिवर्सल क्रेडिट सिस्टम बंद होने से भोजन की उपलब्धता पर असर पड़ने की आशंका है. ब्रिटेन के लगभग 1200 फूड बैंक ने बेहद खराब हालात से मुकाबला करने की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. रूसल ट्रस्ट के निदेशक गैरी लेमन ने आशंका जताई कि ऐसा भी समय आ सकता है, जब माता-पिता भूखे रहेंगे. ताकि उनके बच्चों को खाना मिल सके. लेमन ने कहा कि चैरिटी फूड बैंक तैयारियां कर रहे हैं जिससे भुखमरी के हालात न हों.
ब्रिटेन में बीते मई में यू-गोव एजेंसी के एक सर्वेक्षण से सामने आया था कि देश में 24 लाख बच्चे खाद्य असुरक्षा के बीच जी रहे हैं. मई से सितंबर के बीच ये संख्या 9 लाख और बढ़ गई. यानी अब खाद्य असुरक्षा से पीड़ित बच्चों की तादाद 33 लाख हो गई है. यह देश के कुल बच्चों के छठे हिस्से के बराबर है.
यूनिसेफ ने कहा है कि वह स्कूली बच्चों को भोजन कराने की सामुदायिक योजना- स्कूल फूड मैटर्स- के लिए 25 हजार पाउंड की सहायता देगी. इस रकम से क्रिसमस और फिर फरवरी में हाफ टर्म के बाद होने वाली छुट्टियों के दौरान बच्चों को खाना खिलाया जाएगा.
ब्रिटेन में खाद्य ही नहीं, पेट्रोल संकट भी गहरा रहा है. यूके के 37 %पेट्रोल पंप खत्म हो गए हैं. फ्यूल सप्लाई में रुकावट आने के बाद लोगों ने घबराकर बड़ी मात्रा में पेट्रोल खरीदना शुरू कर दिया. इसके बाद पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें लगने लगीं. हालात इस कदर बिगड़ गए कि मंत्रियों ने ईंधन की डिलीवरी के लिए सेना को तैनात करने का विचार भी किया.