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राजस्थान में उदयपुर के थूर गांव में दिखा दुर्लभ ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर, विश्व में तीसरी बार साइटिंग

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उदयपुर. समृद्ध जैव विविधता वाले उदयपुर अंचल को सैकड़ों प्रजातियों के जीव-जंतुओं की उपलब्धता का गौरव हासिल है. अब उदयपुर जिले के लिए एक और अच्छी खबर है. थूर गांव में दुर्लभ किंगफिशर दिखा है. भारत में पहली बार और विश्व में तीसरी बार ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर पक्षी की साइटिंग करने की उपलब्धि उदयपुर को हासिल हुई है. शहर के नीमच माता स्कीम निवासी भानु प्रताप सिंह और हिरणमगरी सेक्टर पांच निवासी विधान द्विवेदी को समीपस्थ थूर गांव में ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर की यह दुर्लभ साइटिंग हुई है, स्थानीय पक्षी प्रेमियों में हर्ष है.

भानु प्रताप सिंह और विधान ने भारत में पहली बार इस किंगफिशर की साइटिंग थूर गांव के समीप डांगियों का हुंदर गांव स्थित रेड सैल्यूट फार्म में की है. इसका नेस्ट गांव के ही तालाब पर मिला है. उन्होंने बताया कि यह किंगफिशर उन्होंने 3 अगस्त, 2021 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर पहली बार देखा. इसके बाद उन्होंने इस किंगफिशर के फोटो और विडियो क्लिक कर इसके बारे में जानकारी जुटानी प्रारंभ की और इसकी नेस्टिंग की तलाश की. तीन-चार दिनों की खोज के बाद इसके यहीं रहने और नेस्टिंग करने की पुष्टि हुई. उन्होंने पक्षी विशेषज्ञों से संपर्क कर साइटिंग के बारे में जानकारी संकलित की. विशेषज्ञों की सहायता से रिसर्च पेपर तैयार कर इंडियन बर्ड वेबसाइट पर भेजा है.

राजपूताना सोसायटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के संस्थापक और भरतपुर के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. सत्यप्रकाश मेहरा ने भी ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर की उदयपुर में साइटिंग को भारत की पहली साइटिंग बताया है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भरतपुर के घना पक्षी अभयारण्य में वर्ष 1991 में एल्बिनो कॉमन किंगफिशर की साइटिंग रिपोर्ट हुई थी. उन्होंने बताया कि उदयपुर की जैव विविधता के बीच ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर की साइटिंग वास्तव में उपलब्धि है और इसे शोध पत्रिकाओं में स्थान मिलना ही चाहिए.

इधर, उदयपुर के पक्षी विशेषज्ञ और सेवानिवृत्त सहायक वन संरक्षक डॉ. सतीश शर्मा ने ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर की साईटिंग पर खुशी जताते हुए कहा है कि शहर और आसपास की प्रदूषणमुक्त आबोहवा के कारण दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों की भी साइटिंग हो रही है। उन्होंने पक्षी प्रेमियों को इस उपलब्धि को शोध पत्रिका के लिए भेजने का सुझाव दिया और इसे उदयपुर जिले के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि बताया.

डॉ. सत्यप्रकाश मेहरा ने बताया कि जिस तरह से मनुष्यों में सफेद दाग या सूर्यमुखी होते हैं, उसी तरह से अन्य जीवों का एल्बिनो और ल्युसिस्टिक होना भी एक तरह की बीमारी है. इसमें भी एल्बिनो में तो पूरी तरह जीव सफेद हो जाता है और आंखें लाल रहती है. इसी प्रकार ल्यूसिस्टिक में शरीर के कुछ भाग जैसे आंख, चोंच, पंजों व नाखून का रंग यथावत रहता है तथा अन्य अंग सफेद हो जाते हैं.

भानु प्रताप सिंह और विधान द्विवेदी ने बताया कि दुर्लभ किंगफिशर के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी एकत्र करने के बाद शोध पत्र को इंडियन बर्ड वेबसाइट में इस खोज को प्रमाणित करने के लिए भेजा था, जहां से दो दिन पूर्व ही उनकी इस खोज को प्रमाणित किया है. बताया गया है कि ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर पक्षी की भारत में यह पहली और विश्व में तीसरी साइटिंग है. यह पक्षी विश्व में पहली बार यूके में तथा दूसरी बार ब्राजील में देखा गया था. उदयपुर को विश्व में तीसरी बार और भारत में पहली बार साईटिंग का गौरव प्राप्त होने पर ग्रीन पीपल सोसायटी के राहुल भटनागर, वागड़ नेचर क्लब के डॉ. कमलेश शर्मा, विनय दवे सहित स्थानीय पक्षी प्रेमियों ने खुशी जताई है.

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