प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किसी आरोपी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धाराएं लगाने को लेकर अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी की जल्द रिहाई की संभावना नहीं है तो उसके खिलाफ रासुका लगाना गलत. कोर्ट की यह टिप्पणी शाहजहांपुर के अभयराज गुप्ता की याचिका पर आई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस एमसी त्रिपाठी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने इसके साथ ही हत्या और गैंगस्टर एक्ट के तहत जेल में बंद गुप्ता के खिलाफ लगाए गए एनएसए को रद्द कर दिया.
अभयराज गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि यह घटना दुश्मनी के कारण एक व्यक्ति की हत्या की है, जिससे कानून व्यवस्था तो प्रभावित हुई, लेकिन लोक व्यवस्था नहीं. इसलिए इस मामले में एनएसए के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती.
याचिकाकर्ता के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि एनएसए के तहत निरुद्धि आदेश पारित करने के पहले से ही याची जेल में है. उसने जमानत का प्रार्थनापत्र भी नहीं दिया है. ऐसे में उनके मोवक्किल द्वारा लोक शांति भंग करने की कोई संभावना नहीं है.’
क्या है मामला
बता दें कि 2 दिसंबर 2019 को पीडब्यूडी कार्यालय शाहजहांपुर के सामने हमलावरों ने राकेश यादव की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हमले में कुलदीप जायसवाल गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इसकी प्राथमिकी दर्ज कराई गई और पुलिस पर जानलेवा हमला करने के आरोप में भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई. इसी मामले में याची के खिलाफ तीसरी प्राथमिकी गैंगस्टर एक्ट के तहत थाना सदर बाजार शाहजहांपुर में दर्ज कराई गई. इसके बाद पुलिस आरोपी अभयराज गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया. वह 1 मई 2020 से जेल में बंद है. इसी दौरान डीएम ने रासुका के तहत नजरबंदी आदेश दिया था. हालांकि कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है.