लखनऊ. उत्तर प्रदेश चुनाव के ऐलान के साथ ही राज्य में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. राज्य में चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक डिजिटल कैंपेन करने को कहा है. क्योंकि राज्य में कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. वहीं अब समाजवादी पार्टी ने डिजिटल अभियान को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि एसपी के जनाधार वाले जिलों में जिला प्रशासन इंटरनेट का खेला कर रहा है. वहीं एसपी के चुनावी रणनीतिकारों ने डिजीटल मीडिया में छोटे वीडियो को प्रसारित करना शुरू कर दिया है. क्योंकि इससे लोगों को इसे डाउनलोड करने में आसानी होगी और उसका डेटा भी कम लगेगा. इसके साथ ही पार्टी ने घर-घर जाकर प्रचार भी शुरू कर दिया है.
राज्य में हो रहे चुनाव के लिए अखिलेश यादव ने शनिवार को पार्टी के मीडिया पैनलिस्ट और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और टीम से अपने सुझाव लिए. राज्य में 15 जनवरी तक प्रचार डिजीटल माध्यम से होना है और उसके बाद समीक्षा की जाएगी और चुनाव आयोग दिशा निर्देश जारी करेगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के एक नेता ने कहा कि हमारे मतदाता युवा और गरीब हैं औ वह बड़े वीडियो डाउनलोड नहीं कर सकते. क्योंकि ऐसा करने से डेटा का ज्यादा खपत होगी. लिहाजा पार्टी 100 एमबी तक शॉर्ट वीडियो बना रही है. ताकि अपनी बात पार्टी अपने समर्थकों तक पहुंचा सके.
वहीं समाजवादी पार्टी ने राज्य के विभिन्न जिलों इंटरनेट की स्पीड और कनेक्टिविटी को कमजोर करने के लिए जिला प्रशासन पर आरोप लगाया है. पार्टी का कहना है कि जिन जिलों में पार्टी का जनाधार है वहां पर इंटरनेट की स्पीड जिला प्रशासन कम रहा है. ताकि फेसबुक और यूट्यूब के अलावा समाजवादी पार्टी के व्हाट्सएप पर भी असर पड़े.पार्टी के डिजिटल विंग ने कई वाट्सएप ग्रुप बनाए हैं और उनके जरिए लाखों लोगों तक कंटेंट पहुंचाया जा रहा है. पार्टी ने हर विधानसभा में 8 से 10 वाट्सएप ग्रुप बनाए हैं और इसके जरिए 256 लोगों को जोड़ा है.
वहीं पार्टी ने अपने प्रचार में एलईडी स्क्रीन को भी शामिल किया है. पार्टी का कहना है कि जिन लोगों के पास मोबाइल नहीं है. उन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए पार्टी चौराहों पर एलईडी स्क्रीन लगाएगी. पार्टी के एक नेता का कहना है कि अगर ब्लॉक स्तर पर स्क्रीन लगाई जाती है तो राज्य में 25 हजार स्क्रीम की जरूरत होगी. वहीं उन्होंने कहा कि बीजेपी ने ये प्रयोग बिहार चुनाव में किया था.