- मोदी ने फिर आडवाणी को नजरअंदाज किया
- कौन जाने किस घड़ी, वक़्त का बदले मिज़ाज!
डेस्क। वक़्त की पाबन्द हैं, आती जाती रौनकें! वक़्त है फूलों की सेज, वक़्त है काँटों का ताज!! वक्त फिल्म के गाने की हर एक लाइन वैसे तो हर किसी पर हर हालात में फिट बैठने वाली हैं लेकिन मौजूदा एक मामले में काफी हद तक सटीक बैठती है जिसके तहत यह मानना होगा कि एक वक्त था कि भाजपा में अटल के बाद या तकरीबन उनके समकक्ष ही आडवाणी की हैसियत हुआ करती थी और जो आज उनकी इस तरह से अनदेखी कर रहे हैं उनकी क्या हैसियत हुआ करती थी। लेकिन कामयाबी के रथ पर सवार आदमी शायद यह भूल जाता है कि- आदमी को चाहिये, वक़्त से डर कर रहे! कौन जाने किस घड़ी, वक़्त का बदले मिज़ाज!!
गौरतलब है कि विप्लब देब के शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी ने भी भाग लिया। इस दौरान एक अजीब वाक्या देखने को मिला जो चर्चा का विषय बन गया। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर आडवाणी को नजरअंदाज कर दिया।
मुख्यमंत्री पद के शपथ समारोह कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे पीएम जैसे ही मंच पर आए तो सब उनके हाथ जोड़ने लगे। पीएम मंच पर बैठे सभी नेताओं का अभिवादन स्वीकार कर आगे बढ़ रहे थे। इसी बीच जब वह आडवाणी के सामने पहुंचे तो उन्होंने भी हाथ जोड़ा लेकिन पीएम ने उन्हे नजरअंदाज कर दिया। वह सीधे आडवाणी के बगल में बैठे त्रिपुरा के पूर्व सीएम मानिक सरकार के पास पहुंच गए और उनसे बातचीत करने लगे।
दरअसलयह पूरा मामला कैमरे में कैद हो गया कि किस तरह से आडवाणी काफी देर तक हाथ जोड़े खड़े रहे लेकिन पीएम ने उनकी तरफ ध्यान तक नहीं दिया। यह पहला मौका नहीं है जब पीएम ने अडवाणी को दरकिनार किया हो इस तरह के मामले पहले भी कई बार सामने आ चुके हैं।