नई दिल्ली. अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7 प्रतिशत हो गई. एक महीने पहले जुलाई में यह 6.71 फीसदी रही थी. एक साल पहले यानी अगस्त 2021 में ये 5.30 प्रतिशत थी. सोमवार को भारत सरकार ने आंकड़े जारी कर इसकी जानकारी दी है. बता दें कि लगातार ये आठवां महीना है, जब खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक की अपर लिमिट यानी 6 फीसदी के ऊपर बनी हुई है.
नेशनल स्टेटिकल ऑफिस (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, फूड इंफ्लेशन में बढ़ोतरी के कारण खुदरा महंगाई में तेजी आई है. पिछले महीने फूड इन्फ्लेशन 7.62 प्रतिशत थी जबकि जुलाई में ये 6.69 प्रतिशत थी. जून में 7.75 प्रतिशत रही थी और मई में यह 7.97 प्रतिशत और अप्रैल में 8.38 प्रतिशत थी.
उधर, रिटेल महंगाई दर लगातार 8 महीनों से आरबीआई की 6 प्रतिशत के ऊपर बनी हुई है. इस साल जनवरी में रिटेल महंगाई दर 6.01 प्रतिशत, फरवरी में 6.07 प्रतिशत, मार्च में 6.95 प्रतिशत, अप्रैल में 7.79 प्रतिशत, मई में 7.04 प्रतिशत और जून में 7.01 प्रतिशत दर्ज की गई थी.
पर्चेजिंग पावर से है महंगाई का सीधा संबंध
पर्चेजिंग पावर से महंगाई का सीधा संबंध है. अगर महंगाई दर 7 प्रतिशत है, तो आपके कमाए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा. महंगाई का घटना और बढऩा प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है. इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है. सरल शब्दों में इसे समझा जा सकता है कि बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या सामानों की कमी महंगाई का कारण बनती है.
सीपीआआई आधारित महंगाई क्या है?
सीपीआई यानी कंज्यूमर प्राइस इंडैक्स चीजों और सर्विस की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करती है, जिन्हें परिवार अपने रोजाना के इस्तेमाल के लिए खरीदते हैं. महंगाई दर को मापने के लिए हम अनुमान लगाते हैं कि पिछले साल की समान अवधि के दौरान सीपीआई में कितने प्रतिशत की वृद्धि हुई है. आरबीआई कीमतों में स्थिरता रखने के लिए इस आंकड़े पर नजर रखता है