नई दिल्ली. केन्द्र सरकार ने खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर यूट्यूब को 10 यूट्यूब चैनलों से 45 वीडियो को ब्लॉक करने का निर्देश दिया है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अनुसार, ये वीडियो फेक न्यूज फैलाकर पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को खराब कर रहे थे. सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने ट्वीट में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में ये पहले भी किया है, आगे भी करेंगे.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इन वीडियोज को 1.30 करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है. इनमें दावा किया गया था कि सरकार ने कुछ समुदायों के धार्मिक अधिकार छीन लिए हैं. इस कारण समुदायों के बीच भय और गलत धारणा फैल रही थी.
इसके अलावा इन वीडियोज का इस्तेमाल अग्निपथ योजना, भारतीय सेना, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र, कश्मीर से संबंधित मुद्दों पर दुष्प्रचार फैलाने के लिए किया जा रहा था. साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा और पड़ोसी देशों के साथ भारत के रिश्तों को खराब करने के लिए किया जा रहा था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ वीडियो में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कुछ हिस्सों को भारत की सीमा के बाहर दिखाया गया है.
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
बयान में कहा गया है कि वीडियो को आईटी एक्ट 2021 के तहत ब्लॉक किया गया है. इससे पहले अगस्त में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश संबंधों और सार्वजनिक व्यवस्था के बारे में दुष्प्रचार करने के लिए 8 यू-ट्यूब चैनलों को ब्लॉक कर दिया था.
इनमें 7 भारतीय और 1 पाकिस्तानी यूट्यूब न्यूज चैनल शामिल थे. ब्लॉक चैनलों को 114 करोड़ से ज्यादा बार देखा गया था. इनके 85 लाख 73 हजार यूजर्स हैं. मंत्रालय के अनुसार इन चैनलों पर फेक और भारत विरोधी कंटेंट परोसा जा रहा था.
सुप्रीम कोर्ट की न्यूज चैनल्स को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने पांच दिन पहले हेट स्पीच से भरे टॉक शो और रिपोर्ट टेलीकास्ट करने पर टीवी चैनलों को जमकर फटकार लगाई थी. हेट स्पीच से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने 21 सितंबर को कहा कि यह एंकर की जिम्मेदारी है कि वह किसी को नफरत भरी भाषा बोलने से रोके. बेंच ने पूछा कि इस मामले में सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है, क्या यह एक मामूली मुद्दा है?