वाशिंगटन। यमन में चलाए जा रहे सऊदी अरब के सैन्य अभियान को सहायता देने के ट्रंप के फैसले को अमेरिकी सीनेट का समर्थन मिल गया है। अमेरिकी सीनेट ने मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पक्ष लेते हुए यमन में सैन्य अभियान चला रही सऊदी सेना को अमेरिकी सैन्य सहायता जारी रखने के फैसले को समर्थन दिया।सीनेटर ने इस प्रस्ताव को लेकर 55-44 वोटों से मतदान किया।
इसके अलावा व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप और सउदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच बैठक भी हुई, जिसमें राष्ट्रपति ने अमेरिकी रक्षा विभाग की सराहना की। अखबार द गार्जियन ने डोनाल्ड ट्रंप के हवाले से लिखा, सउदी अरब एक धनी देश है और वे अमेरिका को भी अपना कुछ धन देंगे, उम्मीद करते हैं वो चाहे नौकरियों के रुप में हों या सैन्य उपकरण खरीदने के रुप में हों। ।
सीनेट में बहुमत वाले नेता, मिच मैककॉन्नेल ने सांसदों से आग्रह किया था कि वे सऊदी अरब से अमेरिकी समर्थन वापस लेने के प्रयास को छोड़ दें, क्योंकि ये प्रक्रियात्मक रूप से गलत होगा। मैककॉन्नेल ने कहा कि अमेरिकी खुफिया विभाग ने सऊदी अरब को उनके हवाई अभियान में बेहतर सहायता प्रदान की है, जिससे बहुत ही कम नागरिक हताहत हुए। उन्होंने आगे कहा, “सऊदी अरब से अमेरिकी समर्थन वापस लेने से नागरिकों की मौत के खतरे को कम नहीं किया जा सकता है साथ ही यह इस बात की ओर संकेत करेगा कि हम ईरान को लेकर गंभीर नहीं हैं।”
आपको बता दें कि यमन में सऊदी अरब के सैन्य अभियान की तीसरी वर्षगांठ कुछ ही दिनो में आने वाली है, लेकिन शांति के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। यह संघर्ष 2014 में शुरू हुआ था, जब देश के उत्तर से हौती और शिया विद्रोहियों ने देश की राजधानी को अपने कब्जे में कर निर्वासन में रहने वाले सऊदी-समर्थित शासक अब्द रब्बू मंसूर हडी को पद से हटा दिया था।
इसके जवाब में निर्वासित सरकार को सत्ता में बहाल करने के लिए, 2015 में एक सऊदी नेतृत्व वाले अरब सैन्य गठबंधन ने एक बमबारी अभियान शुरू किया था। संयुक्त राज्य अमेरिका ने औपचारिक रूप से सऊदी गठबंधन का समर्थन नहीं किया है, लेकिन बमबारी अभियान में गठबंधन हमलावरों को ईंधन भरने के लिए सहायता प्रदान करता रहा है।