डेस्क। एक तरफ जहां 2019 के लोकसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वहीं जब तब कई मोर्चों पर भाजपा वाले और केन्द्र की सरकार जब तब किसी नई मुसीबत से घिरते नजर आ रहे हैं । जिसे देख अब कहीं न कहीं ऐसा लगने लगा है कि भाजपा के लिए अगली बार राह है बेहद दुश्वार। क्योंकि ये बात सभी जानते हैं कि देश की सत्ता का रास्ता काफी हद तक सबसे अहम सूबे यानि उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है। तभी जो भी यहां बाजी मार पाता है वो ही केन्द्र की सत्ता में आता है। लेकिन हाल के कुछ समय से जिस तरह से इस अहम सूबे में भाजपा और उसकी सरकार को पनौतियां और चुनौतियां मिलना जारी हैं उससे ऐसा संकेत मिलने लगे हैं कि आने वाला समय उसके लिए काफी भारी है।
गौरतलब है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद गोरखपुर बीआरडी कालेज में बच्चों की मौतें फिर उसके बाद उपचुनाव में दोनों ही सीटों नहीं वरन तकरीबन तीन दशकों से कब्जे में रही गोरखपुर सीट का इस तरह से गंवाना ओम प्रकाश राजभर का रूठना फिर उसे मनाना आदि तमाम कुछ सिलसिले हैं जो अनवरत जारी हैं इसी क्रम में अब प्रदेश में बीजेपी के लिए एक ओर बुरी खबर है। इस बार उत्तर प्रदेश के बहराइच से बीजेपी की सांसद सावित्री बाई फुले ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इतना ही नही सरकार द्वारा अम्बेडकर के नाम में फेरबदल किये जाने से भी मामला थोड़ा बिगड़ने की संभावना है।
ज्ञात हो कि बीजेपी सांसद सावित्री बाई ने अपनी ही पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार आरक्षण को खत्म करने की साजिश कर रही है। सावित्री ने कहा कि वह आरक्षण को लेकर सरकार के मनसुबों को पूरा नहीं होने देगी। और इसके लिए किसी भी बलिदान के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि मैं सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करूंगी। जिसके तहत मैं 1 अप्रैल से लखनऊ में प्रदर्शन करूंगी। सावित्री बाई फुले ने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाते हुए इशारों में कहा कि राज्य की योगी सरकार पर भी निशाना साधा कि राज्य की सरकार केवल एक विशेष जाति के प्रति ही लगाव रखती है। जिसके चलते पार्टी के भीतर बहुत से ऐसे लोग है जो अब पार्टी में अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे है।
बेहद अहम और गौर करने की बात है कि बता दे कि सावित्री बाई फुले पहली बीजेपी नेता नहीं है जिन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर शब्दों में उसकी आलोचना की हो। क्योंकि फुले से पहले एनडीए में शामिल सुहेलदेव पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी राज्य की योगी सरकार पर उनका और उनकी पार्टी की अनदेखी का लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से शिकायत कर चुके है।
हालांकि अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद ही राजभर ने उत्तरप्रदेश राज्यसभा उप-चुनाव में भाजपा के समर्थन के लिए राजी हुए थे। राजभर ने अमित शाह से मुलाकात और राज्यसभा उपचुनाव के बाद अपनी पार्टी की मीटिंग में करने के बाद मीडिया को बताया था कि वह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के आगामी 10 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के दौरे का इंतजार कर रहे है। राजभर ने कहा था कि मुझे इंतजार है कि राज्यसभा उपचुनाव से पहले बीजेपी अध्यक्ष ने बदलाव को लेकर जो वादा किया था वो पूरा करते है या नहीं। गौरतलब है कि राजभर ने भी राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर ओबीसी समुदाय के नेताओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया था।
इनके अलावा आजमगढ़ से बीजेपी के पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने भी योगी सरकार की कार्यशैली ने नाराज होकर पार्टी आलाकमान को अपनी नाराजगी दर्ज कराई थी। रमाकांत यादव ने योगी आदित्यनाथ पर तंज कसते हुए कहा था कि पार्टी ने एक पुजारी को राज्य की सत्ता सौंप दी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि योगी के बस की सरकार चलाना नहीं वो मंदिर में पूजा कर सकते है। यहीं नहीं रमाकांत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगाया था कि योगी केवल एक विशेष जाति की सेवा करने में व्यस्त है।
वहीं जहां अपने ही रूठे जा रहे हैं ऐसे में बरसों के कट्टर दुश्मन सपा और बसपा आज दोस्त बन वैसे ही भाजपा की उत्तर प्रदेश में मुश्किलें बढ़ा चुके हैं इसके अलावा ममता बनर्जी देश के तमाम राज्यों में वहां के मजबूत दलों को भाजपा के खिलाफ लामबंद करने में बखूबी जुटी हुई हैं साथ ही उन्होंने भी उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा द्वारा भाजपा के खिलाफ एकजुटता बनाये रखने पर खुशी जाहिर की है। कुल मिलाकर जो संकेत हाल फिलहाल मिल रहे हैं वो 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए बेहद दुश्वारी भरे लग रहे हैं खासकर उत्तर प्रदेश जहां उसने सबसे जोरदार प्रदर्शन किया था वहीं उसकी हालत का दयनीय होते जाना याानि खतरे का साफ संकेत हैं।