नई दिल्ली। देश के पीएनबी महाघोटाले पर CVC ने आज देश की नियामक RBI की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि अगर जो वह रखती बखूबी ख्याल तो संभवतः न होता ऐसा हाल।
गौरतलब है कि पी.एन.बी. लोन फ्रॉड को लेकर केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सी.वी.सी) के वी चौधरी ने आर.बी.आई. को भी जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि जाहिर तौर पर लगता है कि घोटाले के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने कोई आडिट नहीं की। चौधरी ने बैंकिंग क्षेत्र में आडिट प्रणाली को और अधिक मजबूत किए जाने पर बल दिया है।
इतना ही नही सतर्कता आयुक्त ने कहा, “आर.बी.आई. ने एक भी ऑडिट नहीं किया।” सी.वी.सी. की देख-रेख में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) 13 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के पी.एन.बी. फ्रॉड की जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि आर.बी.आई. के पास बैंकिंग सेक्टर की रेग्युलेटरी जिम्मेदारी है लेकिन ईमानदारी में कमी के किसी भी मामले पर सेंट्रल विजिलैंस कमिशन द्वारा गौर किया जाएगा।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक के अनुसार उसने नियमित आडिट की जगह ‘जोखिम आधारित’ आडिट व्यवस्था को अपनाया है। यह तब किया जाता है जब वित्तीय जोखिम शामिल हो। उन्होंने कहा, “जोखिम निर्धारित करने के लिए उनके पास कुछ मानदंड होने चाहिए। उसके आधार पर वे आडिट करते हैं लेकिन ऐसा जान पड़ता है कि उस दौरान आर.बी.आई. ने कोई आडिट नहीं किया।”
बेहद अहम और गौर करने की बात है कि पूर्व में वित्त मंत्री अरुण जेतली ने धोखाधड़ी का पता लगाने में विफल रहने को लेकर नियामकों की आलोचना करते कहा था कि राजनेताओं के विपरीत भारतीय प्रणाली में नियामकों की कोई जवाबदेही नहीं है। चौधरी ने कहा कि एक नियामक के रूप में आर.बी.आई. सामान्य दिशा-निर्देश जारी करता है और वह भी तब जब विदेशी मुद्रा शामिल हो।
इसके अलावा उन्होंने कहा, “वे एक शाखा से दूसरी शाखा तथा एक बैंक से दूसरे बैंकों में नहीं जाते जबकि उनसे इस काम की अपेक्षा है।” चौधरी ने कहा कि यह सुनुश्चित करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से बैंकों की है कि कामकाज उपयुक्त तरीके और बेहतर रूप से हो। उन्होंने कहा कि जब कुछ गलत होता है, कोई हर किसी पर आरोप नहीं लगा सकता।