नई दिल्ली! सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो जून तक भारत की अपनी डिजिटल करंसी होगी. इस बात की संभावना इसलिए भी व्यक्त की जा रही है कि हाल ही में संपन्न भारतीय रिजव बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में इस पर मुकम्मल चर्चा हुई लिहाजा आरबीआई अपनी वर्चुअल करंसी लाने की संभावना तलाश रहा है. बिटकॉइन जैसी डिजिटल करंसीज के चलन के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने कहा कि डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में वर्चुअल करंसी के महत्व को नकारा नहीं जा सकता. इसलिए आरबीआई की ओर से डिजिटल करंसी जारी करने की संभावना टटोली जा रही है. इसके लिए एक अंतरविभागीय समूह का गठन किया गया है जो इस मुद्दे पर रिजर्व बैंक को बताएगी.
रिजर्व बैंक ने अपने पॉलिसी स्टेटमेंट में कहा है कि अभी जब कई देशों के केंद्रीय बैंक इस उलझन में ही हैं कि वर्चुअल करंसी पर क्या फैसला लिया जाए, आरबीआई ने इसकी संभावना तलाशने के लिए एक स्टडी ग्रुप भी गठित कर दिया है. स्टेमेंट में कहा गया है, पेमेंट्स इंडस्ट्री में तेज बदलाव के साथ-साथ प्राइवेट डिजिटल टोकन्स के उभार एवं फिएट पेपर/मेटलिक मनी की बढ़ती लागत जैसे कारकों ने दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों को फिएड डिजिटल करंसीज लाने के विकल्प तलाशने को प्रेरित किया है. जबकि कई देशों के केंद्रीय बैंक अब भी इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं, रिजर्व बैंक ने एक इंटरडिपार्टमेंटल ग्रुप का गठन कर दिया है. यह विभागीय अधिकारियों का यह समूह आरबीआई की ओर से डिजिटल करंसी लाने की जरूरतों एवं संभावनाओं का अध्ययन करके निर्देश देगा. इंटरडिपार्टमेंटल ग्रुप अपनी रिपोर्ट जून 2018 के आखिर तक सौंप देगा.