नई दिल्ली। मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों के चलते जारी दिल्ली हाई कोर्ट के फरमान से तमाम अफसरान हलकान हैं। क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को डेंगू और चिकनगुनिया जैसे वेक्टर-संबंधी रोगों की रोकथाम करने में असफल अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए दिल्ली प्रशासन के अधिकारियों से कहा कि यदि बीमारी फैलती है, तो अधिकारियों पर जुर्माना लगाने के साथ ही छह महीने की जेल की सजा दे सकते हैं।
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत से लेकर 7 अप्रैल तक दिल्ली के अस्पतालों में डेंगू के 25 मामले सामने आ चुके हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस सप्ताह बारिश के कारण मच्छरों से फैलने वाले इस रोग के फैलने की आशंका जाहिर कर चुके हैं।डॉक्टरों का कहना है कि पिछली सर्दियों में तापमान 16 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गया था। लिहाजा, इस साल मानसून से पहले डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारी बढ़ सकती है। इतने तापमान से नीचे मच्छरों का बढ़ना और वायरस का फैलना बंद हो जाता है।
बेहद अहम है कि कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने मौखिक आदेश में कहा कि यह समय है, जब स्वच्छता और स्वच्छ पर्यावरण के लिए जिम्मेदार लोगों को उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए। मगर, हमें कोई कारण नहीं दिखता है कि ऐसा क्यों नहीं किया गया। वेक्टर से होने वाली बीमारी से हुई मौत की स्थिति में जिम्मेदार व्यक्तियों पर धारा 269 क्यों नहीं लगाई गई।
ज्ञात हो कि धारा 269 के तहत, प्राणघातक बीमारी फैलाने से रोकने में लापरवाही करने वाले किसी व्यक्ति को छह महीने कारावास और/या जुर्माना लगाया जा सकता है। कोर्ट का यह आदेश वकील अर्पित भार्गव और गौरी ग्रोवर की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया है। इसमें नगरपालिका निकायों और अन्य राज्य व केंद्रीय प्राधिकरणों को डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाने के निर्देश देने के लिए कहा गया था।
दरअसल कंटेनर्स, टैंक, बाल्टी या कहीं भी पानी जमा होने वाली जगहों में बारिश और ताजे पानी के जमा होने से वहां एडीज मच्छर प्रजनन करते हैं। इसके बाद इनकी वजह से चिकनगुनिया और डेंगू जैसी जानलेवा बीमारियां फैलती हैं। दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के आंकड़ों के मुताबिक, इन दोनो रोगों और मलेरिया की वजह से साल 2017 में 9,277 लोग बीमार हुए थे और 10 लोगों की मौत हो गई थी।