नयी दिल्ली । आधार में ‘फिंगर प्रिंट’ को लेकर बड़े पैमाने पर शिकायत के बाद सरकार ने सत्यापन के तरीके में बदलाव के संकेत दिये हैं । भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकार (यूआईडीएआई) ने चेहरे के जरिए आधार कार्ड के सत्यापन की अनुमति आज दे दी है.इस तरह से आधार सत्यापन के लिए एक नया तरीका और जुड़ गया है.अब तक यह काम ऊंगलियों के निशान व आंखों की पुतली (आइरिस) स्कैन के जरिए किया जाता है ।
गौरतलब है कि उम्र के साथ अंगुलियों के निशान बदल जाते हैं या वे मिट जाते हैं और ऐसे में सत्यापन के समय सही इंप्रेशन नहीं आ पाता है । इतना ही नहीं उम्र बढ़ने के साथ ही कुछ लोगों के हाथों में कंपन होने लगता है और ऐसी स्थिति में भी इंप्रेशन सही ढंग से नहीं आ पाता है जिसके चलते संबधित कर्मचारी उन्हें आधार से मिलने वाले लाभ देने से मना कर देते हैं ।
खासकर बैंकों में ऐसे मामलों में बुजुर्गो को खासी परेशानी का समाना करना पड़ता है. इन मामलों में देखा गया है कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारी इस सच्चाई को नहीं समझते कि उम्र बढ़ने के साथ अंगुलियों के निशान मिट जाते हैं, कभी कभी बदल जाते हैं या हल्के पड़ जाते हैं । यही नहीं बुजुर्गो को सिम खरीदने में भी दिक्कत होती थी. क्योंकि ज्यादातर कंपनियां अब थंब इंप्रेशन से ही सिम देती है. ऐसे में प्रियजनों से बात करने में भी दिक्कत होती थी ।
प्राधिकार के इस कदम से उन व्यक्तियों को राहत होगी जो कई कारणों के चलते आधार के सत्यापन के लिए ‘फिंगरप्रिंट’ व ‘आइरिस’ का इस्तेमाल नहीं कर पाते । आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह नयी सुविधा सत्यापन के मौजूदा तरीकों के साथ मिलकर उपलब्ध होगी । सत्यापन की यह नई सुविधा एक जुलाई 2018 से उपयोग के लिए उपलब्ध होगी. इसके अनुसार, ‘जो लोग वृद्धावस्था, कठिन मेहनत वाले हालात या अंगुलियों के निशान धूमिल होने जैसे हालात के कारण अपने आधार का बायोमेट्रिक तरीके से सत्यापन नहीं करवा पा रहे, यह नयी सुविधा उनके लिए मददगार साबित होगी ।’
मौजूदा व्यवस्था में आधार का सत्यापन ऊंगलियों के निशान व आंखों की पुतली के स्कैन के जरिए किया जाता है । प्राधिकार का कहना है कि सत्यापन की यह नयी सुविधा ‘जरूरत के हिसाब’ से उपलब्ध होगी.गौरतलब है कि यूआईडीएआई ने पिछले सप्ताह ही व्यक्तियों को सरकारी व अन्य सेवाओं के उपयोग के लिए एक आभासी आईडी बनाने/इस्तेमाल करने की अनुमति भी दी है ।