डेस्क। क्रिकेट की पिच पर एक लम्बे अरसे तक भारतीय क्रिकेट टीम को खासा परेशान करने वाले पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान अब सियासी पिच पर बखूबी हाथ आजमा चुके हैं और काफी हद तक इस पोजिशन में भी आ चुके हैं कि माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में वो भारत के लिए नए तौर-तरीकों से दिक्कत का सबब बन सकते हैं।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में अगली सरकार किसकी होगी और कौन प्रधानमंत्री बनेगा, इसके लिए इंतजार बढ़ गया है। बुधवार रात से जारी मतगणना गुरुवार सुबह रोक दी गई है, क्योंकि चुनाव आयोग पर धांधली के आरोप लगे हैं। आधी रात के बाद कोई भी परिणाम घोषित नहीं किए जाने के बाद यह सवाल उठे हैं।
हालांकि वहीं अब तक सामने आए रुझानों के मुताबिक, इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने बढ़त बनाते हुए 119 सीटों पर कब्जा किया है वहीं नवाज शरीफ की पार्टी 56 जबकि बिलावल भुट्टो की पार्टी को 36 सीटों पर बढ़त थी। पार्टी नेता शहबाज शरीफ ने रुझानों की शक्ल में आ रहे नतीजों को मानने से इंकार कर दिया है। इसके बाद चुनाव आयोग ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सभी आरोपों से इन्कार किया है।
वहीं माना जा रहा है कि काफी हद तक इमरान का बनना तय है ऐसे में पाकिस्तान के विदेशी मामलों के जानकार कमर आगा का कहना है, ‘’जहां तक कश्मीर और भारत का सवाल है तो पाकिस्तान की नीति वही होगी जो पाकिस्तान की सेना तय करेगी। इमरान खान खुद भी कह चुके हैं कि वह सेना के साथ मिलकर काम करेंगे. पाकिस्तान में इमरान खान के बारे में कहा जाता है कि वह सेना के पोस्टर बॉय हैं। वह वही करते हैं जो सेना उनसे कहती है।’’
कमर आगा के मुताबिक, ‘’इमरान खान के पीएम बनने के बाद सबकी निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि क्या आने वाले समय में सेना की नीति में कोई बदलाव आएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘’इस वक्त पाकिस्तान के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. वहां के हालात अच्छे नहीं हैं।’’
कमर आगा ने कहा, ‘’भारत का मानना यह है कि जब तक पाकिस्तान में आतंक है तब तक वह बातचीत नहीं करेगा। ऐसे में अगर पाकिस्तान को भारत के साथ बातचीत को आगे बढ़ाना है तो उन्हें आंतक को खत्म करना होगा।’’
ज्ञात हो कि इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि उनकी पार्टी भारत के साथ शांतिपूर्ण रिश्ते चाहती है और उसी तरफ अपने कदम आगे बढ़ाएंगे। वहीं कश्मीर को लेकर घोषणा पत्र में कहा गया है कि इस मामले में पाकिस्तान तटस्थता से अपना रुख संयुक्त राष्ट्र के साथ रखेगा।
फिलहाल ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान में त्रिशंकु संसद के आसार हैं। नई सरकार चुनने के लिए बुधवार को नेशनल असेंबली यानी संसद की 272 में से 270 सीटों पर हुए मतदान के बाद मतगणना के रुझान यही कह रहे हैं। दो सीटों पर प्रत्याशियों के निधन के कारण चुनाव स्थगित हो गए थे।
लेकिन वहीं अगर देखा जाये तो 230 सीटों के रुझानों में पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ(पीटीआइ) 119 सीटों में आगे चल रही है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी मुस्लिम लीग (नवाज) 56 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है।
जबकि पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) 36 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर चल रही हैं। जाहिर है कि त्रिशंकु नेशनल असेंबली की सूरत में जरदारी “किंगमेकर” साबित हो सकते हैं।
वहीं मुहाजिरों की पार्टी एमक्यूएम 11 सीटों पर आगे है। 18 सीटों पर निर्दलीय भी आगे चल रहे हैं। पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली के साथ चार प्रांतों की विधानसभाओं के लिए बुधवार को ही एक साथ मतदान कराया गया। इससे पहले बलूचिस्तान के क्वेटा में मतदान के दौरान एक बूथ के बाहर आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया। धमाके में 35 लोगों की मौत हो गई।
पाकिस्तान के 85 हजार से ज्यादा मतदान केंद्रों पर सुबह आठ बजे मतदान शुरू हुआ। कई मतदान केंद्रों पर सुबह सात बजे से ही वोटरों की कतारें लग गई थीं। शाम छह बजे मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद वोटों की गिनती शुरू हो गई। चुनाव आयोग ने नतीजे 24 घंटे के भीतर घोषित कर देने की बात कही है। सुरक्षित चुनाव कराने के लिए देशभर में सेना के 3.70 लाख जवानों के अलावा 4.50 लाख पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए थे।
इमरान पांच सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से कराची पूर्व की सीट उन्होंने जीत ली है। हैरत की बात यह है कि बाकी चारों सीटों यानी लाहौर, बन्नू, रावलपिंडी और मियांवलीपर में भी वह काफी आगे चल रहे हैं। वे पार्टी के 22 साल के इतिहास में अब तक की सबसे ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद कर रहे हैं।
क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पाकिस्तान आम चुनाव में उनकी पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरते हुए नजर आ रही है। इसलिए उनके आवास के करीब सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कहा जाता है कि इमरान को सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ का समर्थन है।
पीपीपी के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी 25 साल में पहली बार नेशनल असेंबली के सदस्य बनेंगे। इससे पहले वह 1993 में नेशनल असेंबली के लिए चुने गए थे। पीपीपी के सह-अध्यक्ष और जरदारी के पुत्र बिलावल भुट्टो ल्यारी और लरकाना-2 में आगे चल रहे हैं। वैसे वह कुल चार सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। बिलावल का यह पहला चुनाव है।
वहीं अगर गौर से देखें तो उसके मुताबिक आंकड़ों में पाक की जम्हूरियत कुछ इस तरह है:
-342 सीटें हैं पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में
– 272 सीटों पर होता है प्रत्यक्ष चुनाव
-60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित। इनका अप्रत्यक्ष निर्वाचन होता है।इन सीटों का आवंटन चुनाव में दलों को मिलने वाले वोटिंग फीसद के आधार पर होता है
-नेशनल असेंबली के लिए चुनाव मैदान में 3,459 उम्मीदवार
-चार प्रांतीय विधानसभाओं की 577 सीटों के लिए 8,396 प्रत्याशी