अपराह्न मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से शाम 4 बजकर 12 मिनट तक (26 अगस्त 2018)
रक्षा बंधन के इस पवित्र त्योहार पर बहनें सुबह उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि करके नए कपड़े पहनती हैं. इसके बाद पीतल की थाली में राखी, कुमकुम, हल्दी, चावल के दाने और मिठाई रखती हैं. पूजा की थाली तैयार करने के बाद बहन, भाई की पूजा करती हैं. सबसे पहले बहनें भाई को तिलक कर उसकी आरती करती है, उसके बाद उस पर अक्षत फेंकते हुए मंत्र पढ़ती हैं और फिर उनकी कलाई को रेशम के धागे से सजाती हैं. इसके बाद उसका मुंह मीठा करवाती है.
हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक, रक्षाबंधन की पूजा तक भाई और बहन को भूखे पेट रहना आवश्यक होता है. कहा जाता है कि खाली पेट पूजा करने से भाई और बहन की पूजा सफल होती है और जो वादे किए जाते हैं वो हमेशा पूरे होते हैं. राखी की रस्म निभाने के बाद भाई या बहन दोनों में से जो भी छोटा होता है उसे आशीर्वाद लेना होता है.