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SC का आरक्षण और आधार समेत कोर्ट कार्यवाही के प्रसारण मामले में बड़ा फैसला

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नई दिल्ली। जैसा कि माना जा रहा था कि अपनी सेवानिवृत्ति से पूर्व देश की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा कई अहम मामलों में ऐतिहासिक फैसले करते जाऐंगे। ठीक उसी के अनुरूप आज उन्होंने तीन अहम फैसलों पर अपनी मुहर लगाई। इन फैसलों में पहला अहम फैसला सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर तथा दूसरा फैसला आधार की अनिवार्यता को लेकर और तीसरा अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर हुआ है।

गौरतलब है कि  बुधवार सुबह कोर्ट की कार्यवाही शुरू होने के बाद एक के बाद एक कुल तीन बड़े फैसले आए। जिसके तहत पहले अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण पर अहम फैसला सुनाते हुए अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी-एसटी) के सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने से इनकार कर दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को ये अधिकार दिया है कि वे चाहें तो वे राज्य स्तरीय सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण दे सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि सरकारी नौकरियों के प्रमोशन में एससी/एसटी को आरक्षण मिलेगा लेकिन इसके निर्धारण का अधिकार राज्य सरकारों को दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने कहा कि नागराज जजमेंट को सात जजों को रैफर करने की जरूरत नहीं है।

इसके साथ ही आज आधार कार्ड की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। अब आपको अपना आधार कहां दिखाना है और कहां नहीं दिखना है इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सारे संशय खत्म कर दिए हैं। देश की सर्वोच्च अदालत ने आधार पर फैसला सुनाते हुए इसे संवैधानिक रूप से वैध तो माना, लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि इसे हर किसी से शेयर करना जरूरी नहीं है। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि आधार नंबर कहां देना जरूरी है और कहां नहीं। सबसे बड़ी बात यह है कि मोबाइल सिम के लिए अब आधार की जरूरत नहीं है। आइए जानते हैं अब कहां जरूरी होगा आधार और कहां नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने यहां आधार को अनिवार्य नहीं माना है
1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब से स्कूलों में आधार जरूरी नहीं होगा।
2. अब बैंक खातों से आधार को लिंक करना जरूरी नहीं, बैंक खाते से आधार को लिंक करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया।
3. सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि मोबाइल के लिए आधार जरूरी नहीं।
4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई मोबाइल और निजी कंपनी आधार नहीं मांग सकती। टेलिकॉम कंपनियां, ई-कॉमर्स फर्म, प्राइवेट बैंक और अन्य इस तरह के संस्थान आधार की मांग नहीं कर सकते हैं।
5. UGC, NEET तथा CBSE परीक्षाओं के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा।
6. 14 साल से कम के बच्चों के पास आधार नहीं होने पर उसे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली जरूरी सेवाओं से वंचित नही किया जा सकता है।

इनइन जगहों पर जरूरी होगा आधार
1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार और पैन को जोड़ना जरूरी होगा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार से पैन कार्ड को जोड़ने का फैसला बरकरार रहेगा।
2. सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में आधार जरूरी होगा।
3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा मामलों में एजेंसियां मांग सकती है आधार।

इसके अलावा तीसरे अहम फैसले के तहत आज सुप्रीम कोर्ट ने अहम अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण की अनुमति दे दी है। राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग पर सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने बड़ा फैसला लिया है। पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं। इन सभी ने मिलकर बड़ा फैसला सुनाते हुए कोर्ट में होने वाली राष्ट्रहित मामलों की कार्यवाही का लाइव प्रसारण करने की बात कही है।

कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अब अदलात में होने वाली सभी कार्यवाही का लाइव प्रसारण होगा। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इसकी शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से होगी और इसके लिए नियमों का पालन किया जाएगा। पीठ का कहना है कि वह अदालतों में भीड़भाड़ को कम करने के लिए खुली अदालत की परिकल्पना को लागू करना चाहती है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से होगी। कोर्ट ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग के आदेश से अदालत की कार्यवाही में पारदर्शिता आएगी और यह लोकहित में होगा।

कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग से पारदर्शिता बढ़ेगी और यह ओपन कोर्ट का सही सिद्धांत होगा। सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा कि अयोध्या और आरक्षण जैसे मुद्दों की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं होगी, इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम खुली अदालत को लागू कर रहे हैं। ये तकनीक के दिन हैं, हमें पॉजीटिव सोचना चाहिए और देखना चाहिए कि दुनिया कहां जा रही है। कोर्ट में जो सुनवाई होती है वेबसाइट उसे कुछ देर बाद ही बताती हैं, इसमें कोर्ट की टिप्पणी भी होती हैं। साफ है कि तकनीक उपलब्ध है, हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए। वहीं आज इस खास बैठक में जस्टिस ने बड़ा फैसला सुनाया है।

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