Tuesday , April 23 2024
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शिवपाल के कार्यक्रम में मुलायम ने जब समाजवादी पार्टी के गुन गाए तो कार्यकर्ता बौखलाए

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लखनऊ। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संस्थापक शिवपाल सिंह यादव ने रमाबाई आंबेडकर मैदान में आयोजित रैली में आज सपा संरक्षक और बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के भी शामिल होने से हालांकि उपस्थित प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के कार्यकर्ताओं में काफी जोश भर गया था। लेकिन वहीं जब रैली के मंच से बार-बार जब मुलायम द्वारा समाजवादी पार्टी का ही नाम लिया गया तो आखिरकार तमाम कार्यकर्ता भड़क कर विरोध जताने लगे। जिस पर मुलायम भी नाराज हो उठे और बोले कि अगर हमें नही सुनना है तो यहां से चले जायें।

गौरतलब है कि एक बार फिर मुलायम सिंह अपने भाई शिवपाल के कार्यक्रम में तो आए लेकिन बेहद ही गंभीर बात ये है कि मंच से उन्होंने समाजवादी पार्टी के ही गुन गाए। भले ही उनसे ऐसा अनजाने में ही हुआ हो लेकिन सियासी गलियारों में एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म हो चला है कि मुलायम भाई से ज्यादा पुत्र के प्रति समर्पित हैं। जिसकी बानगी आज भी शिवपाल की जनाक्रोश रैली के दौरान भी साफ नजर आई। जब मुलायम सिंह ने शिवपाल की पार्टी का नाम दो बार समाजवादी पार्टी बोल दिया. समाजवादी पार्टी कहने पर कार्यकर्ताओं ने जब नेताजी को रोका तो वह भड़क गए और कहा कि नहीं सुनना है तो भागो यहां से।

हालांकि बाद में मुलायम ने कहा कि आपने जो प्रगतिशील पार्टी बनाई है, उसे शुभकामनाएं। जो हमारी बात नहीं सुनना चाहते वो कभी नेता नहीं हो सकते। अगर आप नहीं सुनना चाहते तो एक ही बात कह कर जा रहूं कि शिवपाल भाई है तो हम उन्हें बधाई देंगे। मुलायम सिंह ने कहा कि पार्टी की बागडोर नौजवानों के हाथ में ही आने वाली है। अगर सब आपकी तारीफ करेंगे तो आप भी मुलायम सिंह बनेंगे। हम आपके लिए तो कुछ नहीं हैं, अगर हम आपके लिए कुछ होते तो आप धैर्य से मेरी बात सुनते। अपने सारे उम्मीदवारों को जिताना है और समाजवादी पार्टी की सरकार बनाना है। शिवपाल को मजबूत करना है, ये तो मेरा भाई है।

अहम बात ये है कि वैसे तो मुलायम सिंह अपने भाई शिवपाल की जनाक्रोश रैली में आए थे। लेकिन अगर जानकारों की मानें तो यहां पर भी वो एक भाई नही बल्कि समाजवादी पार्टी के संरक्षक के तौर पर ही आए। क्योंकि मुलायम बाकायदा समाजवादी पार्टी की लाल टोपी और गमछा डाले हुए थे। इतना ही नही इसके साथ ही मुलायम ने बखूबी समाजवादी पार्टी के ही गुन भी गाये। जिसके चलते उनके कार्यक्रम में आने से जो कार्यकर्ता बेहद उत्साहित हुए थे और जोश में नारे लगा रहे थे। उनको बेहद निराशा हुई वहीं एक बार फिर मुलायम के रूख को लेकर सुगबुगाहटों को बल मिल गया।

ज्ञात हो कि ये कोई पहला मौका नही है कि जब मुलायम के रूख से न सिर्फ सियासी सुगबुगाहटों को बल मिला बल्कि मुलायम का भाई शिवपाल की अपेक्षा पुत्र अखिलेश के प्रति अधिक मोह का पता चला। वैसे भी तमाम सियासी जानकार साफ तौर पर कह चुके हैं कि मुलायम की सियासत को समझ पाना अच्छे अच्छों के लिए न सिर्फ मुश्किल है बल्कि नामुमकिन भी है। ऐसे में फिलहाल कुनबे की कलह की शुरूआत से लेकर अभी तक मुलायम का रूख शिवपाल के लिए दुख का कारण ही बना है और जब भी मौका भाई और पुत्र में से एक को चुनने का आया तो मुलायम ने पुत्र को ही चुना है।

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