नई दिल्ली। किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने में राजस्थान रॉयल्स के खिलाड़ी जोस बटलर को चर्चित ‘मांकड़िंग’ फैसले से रनआउट कराने के बाद हो रही आलोचनाओं पर हैरानी जताते हुए कहा है कि उनका फैसला पूरी तरह नियम के अनुसार था और इसमें खेल भावना के उल्लंघन का सवाल पैदा नहीं होना चाहिए।
दरअसल, राजस्थान के खिलाफ सोमवार रात जयपुर में हुए मैच के दौरान किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान रविचंद्रन अश्विन ने बटलर को बल्लेबाजी के दौरान क्रीज़ से बाहर आने पर रनआउट कर दिया था और नियमानुसार बटलर को आउट करार दे दिया गया। हालांकि अश्विन के इस फैसले पर बंटी हुई प्रतिक्रिया मिली जिसमें अधिकतर ने इसे खेल भावना के खिलाफ बताया है।
गौरतलब है कि इंग्लैंड के बल्लेबाज जोस बटलर के लिए नॉन स्ट्राइकर एंड पर क्रीज छोड़कर बाहर निकल आना और रनआउट होना कोई नई बात नहीं है। आईपीएल में जयपुर में सोमवार को किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान के बीच खेले गए मुकाबले में बटलर को पंजाब टीम के कप्तान और ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इसी तरह आउट किया जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ चुका है। नॉन स्ट्राइकर एंड पर बल्लेबाज के बाहर निकलने और गेंदबाज द्वारा उसे रनआउट किए जाने को मांकड़िंग कहा जाता है।
दरअसल आईपीएल 2019 राजस्थान की पारी के 13वें ओवर में अश्विन गेंदबाजी कर रहे थे और उन्होंने बटलर को क्रीज से बाहर देखा। अश्विन ने खुद को रोका और बटलर को रनआउट कर दिया। उसी समय प्रसारक स्टार स्पोर्टस के डगआउट में मौजूद श्रीलंका के पूर्व कप्तान कुमार संगकारा ने बताया कि बटलर पहले भी इसी तरह आउट हुए थे। उन्होंने बताया कि 2014 में श्रीलंका के खिलाफ मैच में सचित्रा सेनानायके ने बटलर को दो बार चेतावनी देने के बाद मांकड़िंग कर दिया था।
दिलचस्प बात ये है कि बटलर ही नहीं बल्कि अश्विन भी इससे पहले एक बल्लेबाज को इसी अंदाज में आउट कर चुके थे। बात 2012 में श्रीलंका के खिलाफ वनडे मैच की है। अश्विन ने लाहिरू तिरिमाने को क्रीज से बाहर निकल आने पर रनआउट कर दिया। हालांकि तत्कालीन कप्तान वीरेंद्र सहवाग ने अपील वापिस ले ली थी। सहवाग ने उस समय कहा था कि अश्विन ने तिरिमाने को इस तरह आउट करने से पहले चेतावनी भी दी थी।
पूर्व भारतीय ऑलराउंडर वीनू मांकड के नाम पर रखा गया था। बात दिसंबर 1947 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे की है। मांकड ने ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज बिल ब्राउन को उस समय रनआउट कर दिया था जब वह नॉन स्ट्राइकर एंड पर क्रीज से बाहर खड़े दिखाई दे रहे थे। मांकड ने खुद को गेंदबाजी करने से रोका और ब्राउन को रनआउट कर दिया। मांकड ने ब्राउन को दो बार इसी अंदाज में रनआउट किया था। पहला वाक्या अभ्यास मैच में हुआ था और दूसरा सीरीज के दूसरे टेस्ट में हुआ था।
ब्रैडमैन ने अपनी आत्मकथा में लिखा था,“ अपने पूरे जीवन मैं यह समझ नहीं पाया कि प्रेस ने मांकड की खेल भावना पर सवाल क्यों उठाया। क्रिकेट का नियम साफ कहता है कि नॉन स्ट्राइकर एंड के बल्लेबाज को अपनी सीमा में रहना चाहिये। यदि ऐसा नहीं है तो यह नियम क्यों रखा गया है कि बल्लेबाजों को इस तरह आउट किया जा सके। नॉन स्ट्राइकर एंड से बाहर निकलकर बल्लेबाज अनुचित फायदा उठाने की कोशिश करता है।”
कपिल देव ने तीन दिसंबर 1992 को पोर्ट एलिजाबेथ में वनडे मैच के दौरान पीटर कर्स्टन को इसी तरह आउट किया था। उन्होंने हालांकि इससे पहले कर्स्टन को चेतावनी दी थी। गुस्से से भरे कर्स्टन पवेलियन लौट गए और तत्कालीन कप्तान केपलर वेसल्स को यह नागवार गुजरा। उसके बाद दूसरा रन लेने के प्रयास में वेसल्स ने अपना बल्ला इस तरह घुमाया कि कपिल को चोट लगी। उस समय मैच रैफरी नहीं होते थे तो वेसल्स को कोई सजा नहीं हुई।
घरेलू क्रिकेट में रेलवे के स्पिनर मुरली कार्तिक दो बार बल्लेबाजों को मांकड़िंग आउट कर चुके हैं। इंग्लैंड के काउंटी सत्र में सर्रे की ओर से खेलते हुए 2012 में उन्होंने समरसेट के बल्लेबाज एलेक्स बैरो को इसी तरह आउट किया था। इसके अगले साल रणजी मैच में उन्होंने बंगाल के बल्लेबाज संदीपन दास को चेतावनी देने के बाद मांकड़िंग आउट किया।
लेकिन 32 साल पहले लाहौर में विश्व कप 1987 के अहम मैच के दौरान वेस्टइंडीज के पूर्व महान गेंदबाज कर्टनी वाल्श ने 11वें नंबर के बल्लेबाज सलीम जाफर को दो बार चेताया। वाल्श ने उन्हें हालांकि रन आउट नहीं किया और अब्दुल कादिर ने छक्का लगाकर पाकिस्तान को जीत दिलाई। वाल्श को खेलभावना के प्रदर्शन के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उल हक ने विशेष पदक दिया था।
ज्ञात हो कि भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर को इस बात पर भी ऐतराज है कि इसे मांकड़िंग क्यों कहा जाता है। वीनू मांकड़ ने सबसे पहले 1947 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ऐसा किया था। गावस्कर बार-बार कहते आए हैं, ”बिल ब्राउन आउट हुए थे तो इसे मांकड़िंग क्यो कहते हैं, ब्राउंड क्यों नहीं।” निश्चित तौर पर यह बहस जल्दी खत्म होने वाली नहीं है।