नई दिल्ली! आम्रपाली ग्रुप के द्वारा की जा रही हीलाहवाली पर सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐक्शन लिया और तीन डायरेक्टरों को पुलिस कस्टडी का आदेश दे दिया. यही नहीं लगे हाथ पुलिस ने तीनों निदेशकों को हिरासत में भी ले लिया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दस्तावेज देने तक तीनों लोग पुलिस की हिरासत में रहेंगे. इस आदेश के तहत आम्रपाली रियल एस्टेट ग्रुप के डायरेक्टरों-अनिल कुमार शर्मा, शो प्रिया और अजय कुमार को पुलिस कस्टडी में भेजा गया है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने डिवेलपर को चेतावनी देते हुए कहा कि वह कोर्ट से लुका छिपी का खेल न खेले. अब जब तक दस्तावेज नहीं दिए जाते, आप पुलिस की हिरासत में रहेंगे. कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी की ओर से पेश वकील से पूछा कि फरेंसिक ऑडिट से संबंधित दस्तावेजों को अब तक ऑडिटरों के पास जमा क्यों नहीं कराया गया?
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह की ठप पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने वाले बिल्डर का चयन करने के लिए एनबीसीसी लिमिडेट को निविदाएं पेश करने (टेंडर देने) की अनुमति दे दी थी. उच्चतम न्यायालय ने एनबीसीसी से 60 दिन के अंदर लंबित पड़ी परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने को कहा है.
आपको बता दें कि आम्रपाली ग्रुप के एमडी अनिल शर्मा का जीवन विवादों से घिरा रहा है. उनके खिलाफ ऐसे कई केस हैं लेकिन उनके उपर गांधीवादी कार्यकत्र्ता एवं लखीसराय स्थित बालिका विद्यापीठ के पूर्व मंत्री डॉ. कुमार शरद चंद्र की हत्या का भी आरोप है. शरद चंद्र पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर के समधी थे.
इससे पहले भी आम्रपाली समूह को सुप्रीम कोर्ट ने कई बार फटकारा लेकिन ग्रुप के निदेशक एवं उनके सहयोगियों ने मामले को गंभीरता से कभी नहीं लिया. विगत दिनों आम्रपाली मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने समूह की ओर से पेश वकील गौरव भाटिया से पूछा था कि कौन सी संपत्तियों को बेचने से फिलहाल 1000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं, ताकि रुके हुए प्रोजेक्ट पर राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) काम शुरू कर सके.
इस पर भाटिया ने कोर्ट से कुछ समय देने की मांग की, जिस पर पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आप सभी लोग अपनी उंगलियां जला चुके हैं. किसी को भी आम्रपाली पर भरोसा नहीं है. सुनवाई के दौरान फ्लैट खरीदारों के वकील ने पीठ को बताया कि इनकी 16 संपत्तियों की लिस्ट है, जिन्हें बेचकर 1350 करोड़ जुटाए जा सकते हैं. साथ ही इनकी व्यावसायिक संपत्तियां भी हैं, जिन्हें बेचा जा सकता है, हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में समिति बनाकर संपत्तियों की नीलामी की जा सकती है.
जानकारी में रहे कि सुप्रीम कोर्ट एनबीसीसी को आम्रपाली के सभी अटके हुए अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी से 30 दिन में विस्तृत योजना मांगी थी. कोर्ट ने एनबीसीसी को कहा था कि वह 30 दिन में बताए कि वह आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट को कैसे पूरा करेगा. बावजूद इसके आम्रपाली समूह कोर्ट के साथ हीलाहवाली कर रहा था. इस बात से आहत कोर्ट ने गु्रप के निदेशकों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे दिए. ये सभी निदेशक तबतक पुलिस हिरासत में रहेंगे जबतक कोर्ट इन्हें छोडऩे का आदेश नहीं देता है.