नई दिल्ली. नेपाल में पिछले दो दिनों से हो रहे उग्र प्रदर्शनों और राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आई. गवई ने टिप्पणी की है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में प्रेसिडेंशियल रेफरेंस मामले की सुनवाई चल रही थी, जहां संविधान पीठ ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे और संविधान की मजबूती को लेकर अहम बातें कहीं.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस बी.आई. गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व होना चाहिए. उन्होंने पड़ोसी देशों का जिक्र करते हुए कहा कि नेपाल की स्थिति सबके सामने है. इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने तुरंत कहा कि बांग्लादेश में भी इसी तरह की घटनाएं देखने को मिली हैं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ये कहा
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस में हिस्सा लेते हुए संविधान की ताकत को रेखांकित किया. उन्होंने आपातकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई, तब जनता ने ऐसा सबक सिखाया कि कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई और खुद इंदिरा गांधी को भी अपनी सीट गंवानी पड़ी. हालांकि, जब बाद की सरकार जनता को संभाल नहीं पाई तो उसी जनता ने इंदिरा गांधी को भारी बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में लौटा दिया. इस पर चीफ जस्टिस गवई ने तुरंत जोड़ा कि वह भी प्रचंड बहुमत के साथ. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने सहमति जताते हुए कहा कि यही हमारे संविधान की असली ताकत है और यह कोई राजनीतिक तर्क नहीं बल्कि सच्चाई है.
नेपाल की वर्तमान स्थिति यह है
उधर, नेपाल में बीते दो दिनों से भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति के खिलाफ भड़के प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया. हालात इतने बिगड़े कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति को इस्तीफा देना पड़ा. प्रदर्शनकारियों ने राजधानी काठमांडू में कई सरकारी दफ्तरों को निशाना बनाया और प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट परिसर तक हमला किया. यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के घर को आग के हवाले कर दिया है. वहीं, इस आगजनी में उनकी पत्नी की भी जान चली गई.
सेना ने संभाला मोर्चा
बिगड़ते हालात को देखते हुए नेपाल में सेना ने पूरी कमान अपने हाथों में ले ली है. बुधवार सुबह से ही सेना की टुकडिय़ां हर बड़े शहर में तैनात कर दी गई हैं और राजधानी में कर्फ्यू जैसा माहौल है.
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