नई दिल्ली. अयोध्या विवाद में सबसे पुराने याचिकाकर्ताओं में शामिल निर्मोही अखाड़ा ने विश्व हिंदू परिषद समर्थित राम जन्मभूमि न्यास के राम मंदिर परिसर के डिजाइन को स्वीकार नहीं किया है. निर्मोही अखाड़ा के सरपंच महंत राजारामचंद्र आचार्य ने कहा कि मंदिर के डिजाइन को अंतिम रूप देने से पहले उनसे सलाह लेना चाहिए और उसमें अखाड़े की परंपराओं का आवश्यक रूप से ध्यान रखा जाए.
राजारामचंद्र आचार्य ने कहा, अयोध्या में बनने वाले मंदिर को भड़कीला नहीं होना चाहिए. मंदिर ऐसा हो जो भगवान राम के त्याग को दर्शाए. यह भावशून्य आधुनिक परिसर नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मंदिर के डिजाइन को अंतिम रूप देने से पहले निर्मोही अखाड़े से विचार विमर्श किया जाना चाहिए. इसमें निर्मोही अखाड़े की रामनंदी परंपराओं, जिम्मेदारियों, प्रार्थना और रीति रिवाज को आवश्यक रूप से शामिल किया जाए क्योंकि यह पिछले 400 साल से चली आ रही है.’
बता दें कि राम जन्मभूमि न्यास के सदस्यों ने वर्ष 1991 से अयोध्या के कारसेवकपुरम में एक कार्यशाला चला रखा है. इसमें पत्थरों को तराशने का काम तेजी से जारी है. इसी का इस्तेमाल राम मंदिर को बनाने में किया जाएगा. न्यास की योजना के मुताबिक मंदिर का ढांचा 268 फुट लंबा और 140 फुट चौड़ा होगा. यह करीब 128 फुट ऊंचा होगा जिसमें 212 पिलर होंगे.
कार्यशाला के अंदर मंदिर का एक लकड़ी का एक डिजाइन रखा गया है. हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत संघ के कई वरिष्ठ सदस्यों ने इस मंदिर के डिजाइन को बनाने वाले गुजरात के सोमपुरा परिवार से मुलाकात की थी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के जमीन पर नियंत्रण की याचिका को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह मंदिर के निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट में अखाड़ा परिषद को समुचित प्रतिनिधित्व दे.