नई दिल्ली. चीनी दवाओं पर डंपिंग ड्यूटी पर विचार और अब देश के कई बड़े प्रोजेक्ट्स से चीनी कंपनियों बाहर का रास्ता दिखाने की कोशिश में हैं केंद्र सरकार, ताकी चीन को बड़ा सबक सिखाया जा सके. सरकार ने अब देश में उन तमाम बड़े प्रोजेक्ट्स की समीक्षा करनी शुरू कर दी है, जिसमें चीनी कंपनियों का इंवॉल्वमेंट है. वहीं दूसरी ओर दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल प्रोजेक्ट को भी कैंसिल करने की भी योजना पर काम चल रहा है, क्योंकि इस प्रोजेक्ट में चीनी कंपनी को बिड हासिल हुई है.
कैंसिल हो सकता है आरआरटीएस प्रोजेक्ट की बिड
जानकारी के अनुसार चीन के विवाद को देखते हुए सरकार की ओर से देश के उन तमाम प्रोजेक्ट्स की समीक्षा करनी शुरू कर दी है, जिनकी बिडिंग चीनी कंपनियों के पक्ष में गई है. इन प्रोजेक्ट्स तमें सबसे बड़ा और केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शामिल दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट भी है. सरकार इसकी बिड को कैंसिल करने के लिए तमाम कानूनी पहलुओं की जांच कर रही है. जानकारों की मानें तो सरकार इसकी बिड के साथ प्रोजेक्ट को भी ठंडे बस्ते में डाल सकती है.
प्रोजेक्ट के लिए इस कंपनी ने हासिल की थी बिड
दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट के अंडरग्राउंड स्ट्रेच निर्माण के लिए चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड ने बिड हासिल की थी. चीनी कंपनी की ओर से 1126 करोड़ रुपए की बोली लगी थी. इस प्रोजेक्ट के चीनी कंपनी समेत पांच कंपनियों की ओर से बोली लगाई गई थी. जिसमें भारतीय कंपनी लार्सन एंड टर्बो ने 1,170 करोड़ रुपए की बोली लगाई.
क्या है दिल्ली मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट
इस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड रेल कॉरिडोर का निर्माण होना है. इस प्रोजेक्ट के थ्रू दिल्ली को गाजियाबाद से होते मेरठ तक कनेक्ट किया जाएगा. करीब 82.15 किलोमीटर लंबे आरआरटीएस में 68.03 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और 14.12 किलोमीटर अंडरग्राउंड करने की बात कही गई है.
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