जयपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण का शत-प्रतिशत उपचार का दावा करने वाली पतंजलि की आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल का पतंजलि आयुर्वेद के साथ क्लीनिकल ट्रायल करने वाले निम्स विश्वविद्यालय के मालिक और चेयरमैन बीएस तोमर अब पलट गए हैं. उन्होंने कहा है कि उनके अस्पतालों में कोरोना की दवा का कोई भी क्लीनिकल ट्रायल नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि हमने कोरोना के मरीजों को इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी दिया था. इस संबंध में अभी मैं कुछ नहीं कह सकता कि योग गुरु रामदेव ने इसे कोरोना का शत प्रतिशत इलाज करने वाली दवा कैसे बता दिया. इसके बारे में सिर्फ बाबा रामदेव ही बता सकते हैं.
बताया जा रहा है कि निम्स विश्वविद्यालय ने सीटीआरआई से 20 मई को औषधियों के इम्युनिटी टेस्टिंग के लिए इजाजत ली थी. इसके बाद निम्स में इन औषधियों का ट्रायल भी शुरू किया गया था. 23 मई से शुरू हुए ट्रायल के एक महीने बाद ही 23 जून को योग गुरु रामदेव के साथ मिलकर दवा लॉन्च कर दी गई.
ये मामला जब तूल पकडऩे लगा है तो अब निम्स के चेयरमैन कहना है कि हमारी फाइंडिंग अभी 2 दिन पहले ही आई थी. योग गुरु रामदेव ने कोरोनिल दवा कैसे बनाई है ये तो वही जानते हैं. इस बारे में मैं कुछ भी नहीं कह सकता हूं.