नई दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की. इस दौरान राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को स्न-16 लड़ाकू विमान देने के अमेरिका के फैसले का विरोध किया. भारत ने पहले ही अमेरिका के इस फैसले पर चिंता जताई थी, लेकिन वाइडेन प्रशासन नहीं माना.
राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर जानकारी दी कि मैंने पाकिस्तान के एफ-16 बेड़े के लिए पैकेज प्रदान करने के हाल के अमेरिकी निर्णय पर भारत की चिंता व्यक्त की. हमने तकनीकी और औद्योगिक सहयोग को मजबूत करने और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग के तरीकों पर भी चर्चा की. बता दें, अमेरिका का कहना है कि इन लड़ाकू विमानों के बेड़े से पाकिस्तान को आतंकवाद रोधी अभियान में मदद मिलेगी. बाइडन प्रशासन ने 8 सितंबर को पाकिस्तान को एफ-16 युद्धक विमानों के लिए 45 करोड़ डॉलर की मदद देने की मंजूरी दी थी.
बाढ़ पीडि़त पाक को मदद मुहैया कराने के लिए अमेरिका ने भेजे 10 मिशन
इस बीच, पाकिस्तान की भयावह बाढ़ ने जहां बड़ी संख्या में लोगों को बेघर कर दिया है, वहीं 1400 से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. इस स्थित से अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां चिंतित हो गई हैं. इस बीच, अमेरिका ने कहा है कि उसने बाढ़ पीडि़तों की मदद के लिए 10 मिशन पाकिस्तान भेजे हैं. जो 10 लाख पाउंड से अधिक की मानवीय मदद पाकिस्तान के लोगों में वितरित करेंगे. पेंटागन के प्रवक्ता पैट्रिक राइडर ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि पाकिस्तान में कुदरती प्रकोप से पीडि़तों के प्रति हमारी पूरी संवेदना है.
उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार के समर्थन से यूएसएआइडी के नेतृत्व में मिशन को यूएस एयरफोर्स सी-17 और सी-130 एयक्राफ्ट मुहैया कराए हैं. यह मिशन पाकिस्तान में कुछ दिन रहकर लोगों को मानवीय मदद के साथ जरूरी उपकरण उपलब्ध कराएगा. पिछले हफ्ते यूएसएआइडी की प्रशासक सुमंथा पावर ने पाकिस्तान में बाढ़ पीडि़तों से मिली थीं, उन्होंने एलान किया था कि अमेरका दो करोड़ डालर की अतिरिक्त मदद पाकिस्तान को मुहैया कराएगा. अमेरिका पाकिस्तान को अब तक कुल 5.31 करोड़ की मदद कर चुका है. अंतरराष्ट्रीय विकास को समर्थन करने वाली अमेरकी एजेंसी को पाकिस्तान के लोगों की मदद के लिए द डिपार्टमेंट आफ डिफेंस (डीओडी) जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है. इस बीच, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि पाकिस्तान में बाढ़ की स्थित और खराब हो सकती है. आशंका है कि 43 प्रतिशत आबादी खाद्य सुरक्षा का शिकार है.
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