नई दिल्ली। पॉक्सो एक्ट में संशोधन को केंद्रीय कैबिनेट ने शनिवार को हुई बैठक में मंजूरी दे दी है। जिसके तहत जल्द ही 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में दोषियों को मृत्युदंड का प्रावधान करने के लिए अध्यादेश लाया जाएगा। इतना ही नहीं कैबिनेट ने 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से दुष्कर्म को लेकर भी प्रावधान का प्रस्ताव रखा है।
इसके साथ ही केंद्रीय कैबिनेट ने दुष्कर्म के मामलों में ट्रायल को तेज करने के लिए भी कदम उठाने की बात कही है। इसके बाद अब जहां 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म पर कम से कम सजा 10 से बढ़ाकर 20 साल कर दी गई है जिसे उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है वहीं 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में कम से कम 20 साल की सजा की बात कही गई है।
सूत्रो के मुताबिक लाये जाने वाले इस प्रस्ताव के अनुसार 12 साल तक बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को भी मौत की सजा सुनाई जा सकती है। पॉक्सो कानून के प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है। न्यूनतम सजा 7 साल की जेल है। सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में सूचित किया कि वह दंडनीय कानून में संशोधन कर 12 साल या उससे छोटी उम्र की बच्चियों के साथ यौन अपराध के दोषियों को मौत की सजा के प्रावधान को शामिल करने पर विचार कर रही है। विधि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि फिलहाल अध्यादेश सर्वश्रेष्ठ तरीका है।
बेहद अहम और काबिले गौर बात है कि कठुआ और उन्नाव गैंग रेप कांडों के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी जांच बाधित करने वाले पुलिसवालों पर सख्त नजर आ रही है। उन्होंने साफ कहा है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में जांच को बाधित करने वालों या ऐसे अपराधों को अंजाम देने वालों के साथ सांठगांठ करने वाले पुलिस अधिकारियों पर राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करें।
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने इस तरह के मामलों की जांच निश्चित समय सीमा में पूरी करने की भी अपील की है। मेनका ने यौन अपराधों या बच्चों से यौन अपराधों से निपटने के लिए विशेष प्रकोष्ठ का गठन करने का भी सुझाव दिया है। उन्होंने राज्यों से यौन अपराधों के विभिन्न पहलुओं पर, खासतौर पर सबूत एकत्र करने और उनके संरक्षण से जुड़े पहलुओं पर अपनी-अपनी पुलिस को फिर से प्रशिक्षित करने का भी निर्देश दिया है।
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