नई दिल्ली। तीन तलाक पर लंबे समय से जारी बहस के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तलाक-ए-बिद्दत (एक बार में तीन तलाक) के दोषी व्यक्ति को जमानत देने के प्रावधान को विधेयक में जोड़ने की आज मंजूरी दे दी। हालांकि इसके तहत भी यह गैर-जमानती ही रहेगा, पर मजिस्ट्रेट से ऐसे मामलों में जमानत मिल सकेगी। तीन तलाक के प्रावधानों को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन को मंजूरी दी है।
मिली जानकारी के अनुसार प्रस्तावित कानून केवल तलाक ए बिद्दत पर ही लागू होगा। इसके तहत पीड़ित महिला अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए गुजारे भत्ते की मांग को लेकर मजिस्ट्रेट के पास जा सकती है। पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से बच्चों को अपने संरक्षण में रखने की मांग कर सकती है। इस मुद्दे पर अंतिम फैसला मजिस्ट्रेट लेगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया है, जिसके बाद केंद्र सरकार ने इस मसले पर लोकसभा में एक विधेयक पारित किया। इसके तहत तीन तलाक देने वालों के लिए जेल की सजा का प्रावधान किया गया और इसे गैर-जमानती बनाया गया।
वहीं इस मुद्दे पर विपक्ष इसके कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्ति जता रहा था, जिसके कारण लोकसभा से पारित होने के बाद भी यह विधेयक राज्यसभा में अटका हुआ है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने दलील दी कि तीन तलाक देने की स्थिति में अगर पीड़ित महिला का पति जेल भेज दिया जाता है तो उसका गुजारा कैसे चलेगा?
दरअसल मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 नाम से यह विधेयक बीते दिसंबर में लोकसभा से पारित हुआ था, जिसके तहत तीन तलाक को अपराध घोषित किया गया और इसके लिए तीन साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया।
ज्ञात हो कि तब भी विपक्ष ने इसका विरोध किया था, लेकिन लोकसभा में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को बहुमत होने के कारण यह आसानी से पारित हो गया। राज्यसभा में एनडीए को बहुमत नहीं होने के कारण यह विधेयक अटक गया।
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