कोरोना वायरस से बचाव के लिए घोषित लॉकडाउन लोगों को परिवार और परिजनों के साथ जोड़ने में मददगार साबित हो रहा है. लॉकडाउन में परिवार और प्रियजनों के बीच रहने को लेकर 52 फीसदी लोगों ने खुशी जताई है. हालांकि इस अवधि में कुछ लोगों का अनुभव खराब भी रहा है. 18 फीसदी लोगों ने कहा कि लंबे समय तक परिवार के साथ रहने से तनाव उत्पन्न हुआ है. ये सभी नतीजे जामिया द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आए हैं.
जामिया मिलिया इस्लामिया की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) इकाई की तरफ से कोरोना वायरस का मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव विषय पर आस-पास के क्षेत्रों में अध्ययन आयोजित किया गया था. कुलपति की अगुवाई में संपन्न हुए इस अध्ययन के तहत जामिया, शाहीनबाग, नूर नगर, अबू फजल, ओखला विहार, बाटला हाउस, जुलैना, तिकोना पार्क, हाजी कॉलोनी, जामिया शिक्षक आवास के निवासियों से ऑनलाइन सवाल पूछ गए थे. इसमें कई वर्ग और श्रेणियों के लोगों को शामिल किया गया था. उनके जवाब के आधार पर रिपोर्ट जारी की है.
दिनचर्या बाधित होने से 28 फीसदी चिंतित
कोरोना वायरस से बचाव के लिए घोषित लॉकडाउन की वजह से दिनचर्या प्रभावित होने से 28 फीसदी लोग चिंतित हैं. वहीं 19 फीसदी लोग ऐसे हालात में अपने आप को मजबूर महसूस कर रहे हैं. जबकि 13 फीसदी चिंतित और 6 फीसदी लोग इस दौरान उपज रहे नकारात्मक विचारों को लेकर भयभीत हैं.
48 फीसदी ने कहा- कोरोना से डर लगता है
अध्ययन में लोगों से कोरोना संक्रमण से डर लगने संबंधी सवाल पूछे गए. 48 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें डर लगता है. वहीं 16 फीसदी ने ना में जवाब दिया जबकि 36 फीसदी ने अपने जवाब में अनिश्चितता जताई है.