अगर आपने कभी गाड़ी खरीदी है तो आप अच्छे से जानते होंगे कि नई गाड़ी का नंबर इश्यू कराने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं।इस चक्कर में कई बार लोगों को आरटीओ ऑफिस भी जाना पड़ जाता है। खासकर स्मार्ट नंबर प्लेट लगवाने के लिए तो पहले से बुकिंग भी करानी पड़ती है। सरकार जल्द ही इन सब झंझटों को खत्म करने जा रही है।
दरअसल, सरकार ने जो योजना बनाई है, उससे आम आदमी का ना सिर्फ समय बचेगा… बल्कि फालतू के खर्च भी कम हो जाएंगे। सरकार की योजना के मुताबिक, अब गाड़ी बनाने वाली कंपनियां ही उनमें नंबर प्लेट लगे वाहन शोरूम में भेजेगी। नंबर प्लेट की लागत वाहनों के साथ ही शामिल होगी। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने रविवार को कहा कि अब तक वाहनों की नंबर प्लेट राज्यों द्वारा अलग-अलग निर्धारित एजेंसियों से खरीदी जाती हैं। यह लाइसेंस प्लेट, जिसे आम भाषा में नंबर प्लेट कहा जाता है, वाहन का पंजीकरण नंबर लिखकर वाहन में लगाई जाती है। अभी शुरुआत में इस तरह की प्लेटें कारों में लगाई जाएंगी।
गडकरी ने कहा, हमने महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब मैन्युफैक्चरर्स प्लेट लगाकर देंगे और उन पर अक्षर उभारने का काम बाद में मशीन के जरिये किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्लेट की लागत कार की कीमत में ही शामिल होगी और इससे लोगों को कुछ राहत मिलेगी। मंत्री ने कहा कि नई टेक्नोलाजी वाली नंबर प्लेट का मकसद न केवल उपभोक्ताओं को राहत देना है, बल्कि इससे सभी राज्यों में यह एक समान हो सकेंगी।
उन्होंने बताया कि राज्यों द्वारा जो नंबर प्लेट खरीदी जाती हैं उनकी कीमत 800 से 40,000 रुपये तक होती है। अभी नंबर प्लेट या लाइसेंस प्लेट संबंधित राज्यों के जिला स्तरीय क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) द्वारा जारी की जाती हैं। गडकरी ने कहा कि जहां तक वाहनों की सुरक्षा का सवाल है, इससे किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। गाड़ी सस्ती हो या महंगी नियम सभी के लिए समान होंगे।
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