वाशिंगटन! अमेरिका ने आज आरोप लगाया कि इंटरनेशनल पेरेंटल चाइल्ड एब्डक्शन मामलों में भारत किसी भी नियम का पालन नहीं कर रहा है. अमेरिका ने दावा किया कि ‘एब्डक्टेड चिल्ड्रन’ अर्थात किसी एक अभिभावक की अनुमति के बगैर बच्चे को दूसरे अभिभावक द्वारा अपने कब्जे में रखने के 90 फीसदी मामले लगभग एक वर्ष से अनसुलझे हैं. इंटरनेशनल पेरेंटल चाइल्ड एब्डक्शन (आईपीसीए) का मतबल होता है बच्चे को उसके एक अभिभावक द्वारा दूसरे अभिभावक की मंजूरी के बगैर दूसरे देश ले जाना और वहां रखना. विदेश विभाग ने आईपीसीए पर हालिया सालाना रिपोर्ट में भारत को ‘अनुपालन नहीं करने वाला देश’ बताया है. इस तरह की पहली रिपोर्ट वर्ष 2014 में आई थी तब से ही भारत के नाम पर यह ठप्पा लगा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया, ‘इंटरनेशनल पेरेंटल चाइल्ड एब्डक्शन से संबंधित नियमों का भारत पालन नहीं कर रहा. वर्ष 2017 में भी भारत ने पालन नहीं करने का रवैया रखा.
खासकर भारत के जो सक्षम प्राधिकार हैं वह एब्डक्शन के मामलों में विदेश विभाग के साथ मिलकर काम नहीं कर पाए.’ इसमें कहा गया, ‘इसकी वजह से एब्डक्टेड चिल्ड्रन की वापसी के 90 फीसदी अनुरोध बीते 12 महीने से भी अधिक समय से अनसुलझे रहे हैं.’ वर्ष 2017 में विदेश विभाग ने बताया था कि भारत में अमेरिकी बच्चों के एब्डक्शन संबंधी 104 मामले हैं जिनमें से 20 मामले नए हैं जबकि 84 मामले पहले के हैं. गौरतलब है कि इस तरह के अधिकांश मामले वैवाहिक विवाद का परिणाम होते हैं. ऐसे मामलों में अभिभावकों में से कोई एक अपने बच्चों के साथ भारत में रह रहा होता है और आमतौर पर बच्चों की कस्टडी के लिए अदालती आदेश प्राप्त कर लेता है. दूसरा अभिभावक जो अमेरिकी नागरिक होता है वह अमेरिकी अदालत का दरवाजा खटखटाता है और अपने बच्चों की कस्टडी पाने के लिए सरकारी दखल की मांग करता है. अमेरिका की कानूनी शब्दावली में इसे ‘एब्डक्शन ऑफ अमेरिकी चिल्ड्रन’ कहा जाता है.
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