लखनऊ: मदरसों में कॉमन ड्रेस कोड को लेकर योगी सरकार के दो मंत्री आमने-सामने हैं. 3 जुलाई को राज्य के हज और वक्फ मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि मदरसों में ड्रेस कोड लागू होगा. वहीं, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने कहा कि ऐसी कोई नीति नहीं है. अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने ट्वीट कर कहा कि मदरसों में ड्रेस कोड को लेकर सरकार ने कोई नई नीति तय नहीं की है और इस विषय को लेकर विभाग का कोई मत नहीं है.
मोहसिन रजा की तरफ से ड्रेस कोड की बात कहे जाने के बाद मदरसों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. मदरसा दारुल उलूम फिरंगी महल के मौलाना मोहम्मद हारून ने कहा कि ये हमारी धार्मिक आजादी है कि हम मदरसों में क्या पढ़ाएं, क्या पहनें. सरकार को हमारी मजहबी तालीम में दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए. मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों का भी कहना है कि हमें पैंट-शर्ट की जरूरत नहीं है. हमारी धार्मिक तालीम और हमारा लिबास सही है. उन्होंने कहा कि मदरसों में अब मात्र 1 से 2 प्रतिशत मुस्लिम बच्चे ही तालीम लेते हैं. इसलिए, सरकार इसकी चिंता न करे कि मदरसों में क्या होना चाहिए और क्या नहीं.
3 जुलाई को वक्फ मंत्री मोहसिन रजा ने कहा था कि अब मदरसों में कॉमन ड्रेस कोड लागू किए जाएंगे. वर्तमान में मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे कुर्ता और पायजामा पहन कर जाते हैं. उनके लिए कोई ड्रेस कोड नहीं है, लेकिन बहुत जल्द मदरसों के लिए कॉमन ड्रेस कोड लागू किया जाएगा. मोहसिन रजा ने कहा कि इसको लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.
मोहसिन रजा के मुताबिक इस फैसले से मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों की गुणवत्ता में सुधार होगा और वे मुख्यधारा से बेहतर तरीके से जुड़ पाएंगे. बता दें, जब से मदरसा बोर्ड पोर्टल शुरू किया गया है तब से शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार आया है. NCERT पाठ्यक्रम लागू होने के बाद मदरसों में बच्चों को उर्दू के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी भी पढ़ाई जाएगी. अभी तक मदरसों में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, कंप्यूटर जैसे विषयों की पढ़ाई नहीं होती थी. लेकिन, सरकार के फैसले के बाद छात्रों को इसकी शिक्षा भी दी जाएगी.
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