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मध्यप्रदेश ई-टेंडर घोटाला: व्यापम के बाद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 3000 करोड़ का महाघोटाला!

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नई दिल्ली! मध्य प्रदेश में अभी तक व्यापम घोटाले की जांच पूरी नहीं हुई की एक और बड़ा घोटला सामने आया है. विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उजागर हुआ ये ‘ई-टेंडर’ महाघोटाला सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है. एक निजी अखबार के मुताबिक इस घोटाले में ऑनलाइन टेंडर देने की प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है और इसमें कुछ प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने की बात सामने आ रही है. यह घोटाला करीब 3000 करोड़ का बताया जा रहा है.

जानकारी के अनुसार इस घोटाले का खुलासा मर्इ में हुआ है. जबकि इसे अंजाम काफी समय से दिया जा रहा था. खास बात ये है कि घोटाले की जांच से जुड़े अधिकारियों को ही बदल दिया गया है. इसके बाद से अब जांच भी शक के घेरे में आ गर्इ है.

मध्यप्रदेश जल निगम ने आंतरिक तौर पर इनक्रिप्टेड डॉक्यूमेंट में पहले बदलाव किया और उसके बाद प्राइवेट कंपनियों के हिसाब से बदल डाला. सभी टेंडर मार्च में खोले गए थे. जिसके बाद बोली में हिस्सा लेने वाली एक कंपनी ने इस बात की शिकायत की थी. जल निगम के अधिकारी ने स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन से मदद मांगी थी कि कैसे सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर में सेंध लगी.

रिपोर्ट के मुताबिक कुछ बोली लगाने वालों को अवैध तरीके से मालूम करा लिया था कि ई-टेंडरिंग में सबसे कम बोली क्या है और किसने लगाई है. इन तीन प्रोजेक्ट के लिए कॉन्ट्रैक्ट की रकम 2,322 करोड़ रुपए थी. इसी तरह पीडब्लयू के 6 कॉन्ट्रैक्ट, जल संसाधन विभाग, एमपी रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की ई-बोली में भी गड़बड़ी के मामले सामने आए हैं.

जांच के अनुसार राजगढ़ और सतना जिले में ग्रामीण पानी की सप्लाई स्कीम के तीन कॉन्ट्रैक्ट में फेरबदल कर हैदराबाद की दो कंपनियों और मुंबई की एक कंपनी को सबसे कम बोली लगाने वाला बनाया गया. जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कुछ कंपनियों को पहले ही इस बात की जानकारी दे दी गर्इ थी कि सबसे कम बोली कितने की है. तीन प्रोजेक्ट के लिए कॉन्ट्रैक्ट की रकम 2,322 करोड़ रुपए थी.
वहीं, लोक निर्माण विभाग के 6, जल संसाधन विभाग, एमपी रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की ई-बोली में भी गड़बड़ी पार्इ गर्इ है.

MPSEDC के एमडी मनीष रस्तोगी ने इस मामले की आंतरिक जांच की. वे 1994 बैच के अधिकारी हैं और कंप्यूटर साइंस बैकग्राउंड के हैं.

वहीं, मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी बीपी सिंह के आदेश के बाद सभी नौ टेंडर्स जांच के लिए इकोनॉमिक ऑफेंस विंग को सौंप दिए गए. ईओडब्लू के एक अधिकारी ने ने 3000 करोड़ रुपए की रकम का अनुमान लगाया है. ईओडब्लू के एडीजी मधु कुमार ने कहा कि ‘केस जांच के गंभीर चरण में है.’

घोटाला सामने आने के बाद कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग की है. प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज पर हमला बोला है. उन्होंने टवीट कर शिवराज के घोटाले में शामिल होने की बात कही है. साथ ही उन्होंने लिखा है ‘शेम ऑन यू शिवराज, पैसों की भूख में तुमने इंसानियत भुला दी’.

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